• कांग्रेस की बढ़ेंगी चुनौती

(National News) नई दिल्ली। दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद विपक्ष अब बिखर सकता है।सबसे ज्यादा असर कांग्रेस पर पड़ने वाला है।राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए ऐसी राजनीतिक परीक्षा शुरू होने वाली है जो उनका और पार्टी का राजनीतिक भविष्य तय करेगी।दिल्ली के परिणामों से कांग्रेस के सहयोगी सभी डर गए हैं।राजद,सपा,उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पंवार की एनसीपी मतलब इन दलों को भी अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है।अरविंद केजरीवाल की पार्टी के निशाने पर तो अब बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस रहने वाली है।क्योंकि दिल्ली के बाद अब आप के सामने पंजाब बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है।जिसके लिए आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने खुद ही कमान संभाल ली है।पंजाब के सभी मंत्रियों और विधायकों को दिल्ली तलब किया है।

टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी कभी भी राहुल गांधी के पक्ष में नहीं रही हैं

आप दिल्ली में कांग्रेस को ही ज्यादा घेरेगी।जिससे पंजाब को संदेश दिया जा सके।कांग्रेस पंजाब के चलते दिल्ली में केजरीवाल पर अब ओर आक्रमक होगी।मतलब अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के घोर विरोधी रहेंगे।आप अपने को इंडिया गठबंधन से भी अलग कर सकती है।लगभग यही स्थिति टीएमसी को लेकर होने वाली है।टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी कभी भी राहुल गांधी के पक्ष में नहीं रही हैं। कांग्रेस जिस तरह हार रही है ममता का दूरी बनाना तय है।कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी भी अलग ढंग की राजनीति के मूड में दिख रहे हैं।बिहार से पहले उन्होंने बंगाल पर ध्यान दिया है।यह समझ से परे लग रहा है वह ऐसा क्यों कर रहे हैं ,क्योंकि अभी सबसे पहले बिहार का चुनाव होगा।वहां पर महागठबंधन को बचाना राहुल की पहली चुनौती होनी चाहिए।

जहां कांग्रेस का सीधा वामदलों मुकाबला है।दोनों दलों के लिए केरल का चुनाव अहम है

क्योंकि वहां पर महागठबंधन पर खतरा बना हुआ है।राजद और दूसरे सहयोगी कांग्रेस को अब कम भाव देते दिखने लगे हैं।राहुल बिहार से पहले पश्चिम बंगाल को लेकर जो राजनीतिक दांव पेंच खेलने जा रहे हैं वह भी हैरान करने वाला है।बंगाल में राहुल ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ यात्रा निकालने जा रहे हैं।अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि वामदल क्या साथ रहेंगे।क्योंकि बंगाल से पहले अगले साल शुरू में केरल का चुनाव है। जहां कांग्रेस का सीधा वामदलों मुकाबला है।दोनों दलों के लिए केरल का चुनाव अहम है।खास तौर पर कांग्रेस के लिए।क्योंकि कांग्रेस अगर तीसरी बार हारती है तो केरल में भी उत्तर प्रदेश जैसे हालात हो जाएंगे।

अजीत मेंदोला।

मिल्कीपुर जैसी सीट पर सपा की करारी हार ने उसे और डरा दिया है।सपा भी कांग्रेस को शायद ही साथ रखे

इस स्थिति में कांग्रेस के लिए इंडिया गठबन्धन बचाए रखना आसान नहीं होगा।वामदल ओर ममता बनर्जी भी कांग्रेस से अलग हो सकती है।इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की विपक्ष की रणनीति पर पड़ेगा।महाराष्ट्र में भी महा विकास आघाड़ी अब बचेगा सवाल खड़े होने लगे है।शरद पंवार और उद्धव ठाकरे भी बुरी तरह से घिर चुके हैं।दोनों बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान है।उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को उपचुनाव में जिस तरह झटके लगे हैं उसके बाद वह भी चिन्तित है।कांग्रेस से गठबन्धन कर उसे कोई लाभ मिल नहीं रहा है।मिल्कीपुर जैसी सीट पर सपा की करारी हार ने उसे और डरा दिया है।सपा भी कांग्रेस को शायद ही साथ रखे।

इन हालात में राहुल गांधी और प्रियंका दोनों के लिए आगे की रणनीति आसान नहीं है।अगर कांग्रेस एकला चलो के रास्ते पर चलती है तो भी कुछ नया नहीं होने वाला है।प्रियंका गांधी केरल से सांसद है।उनकी असली परीक्षा शुरू हो गई है।उत्तर प्रदेश में तो वह बुरी तरह फ्लॉफ रही हैं अगर केरल में भी कुछ नहीं कर पाई तो असफलता का बड़ा टैग लग जाएगा।जहां तक राहुल गांधी का सवाल है उनके लिए तो मुश्किलें ही मुश्किलें है।क्योंकि वह संगठन को लेकर अभी तक फैसले ही नहीं होने दे रहे हैं।कमजोर संगठन के चलते ही पार्टी खत्म हो रही है।