नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 पारित हुआ। हालांकि लोकसभा में पूरा विपक्ष भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) का स्थान लेने वाले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 को वापस लेने की मांग कर रहे थे। इस वि धेयक को विपक्ष गरीब-विरोधी और सामाजिक न्याय और सहकारी संघवाद के खिलाफ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहा था। विपक्ष ने सदन में सोमवार को विधेयक को चिकित्सकों के अधिकारों को कम करने वाला बताया और कहा कि सरकार ने एमसीआई सहित विभिन्न संवैधानिक संस्थानों को कमजोर किया है। कांग्रेस के विसेंट पाला ने चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि सरकार ने एक तरफ जहां सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून जैसे कानूनों को कमजोर किया है, वहीं एमसीआई और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे संवैधानिक संस्थानों को भी कमजोर करने का प्रयास भी किया है।
दिसंबर 2017 में पेश किया गया राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही निष्प्रभावी हो गया था। साल 2017 में संसद के निचले सदन में यह विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। मेडिकल बिरादरी द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा गया। यह विधेयक कानून बन जाने पर मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआई) कानून 1956 की जगह ले लेगा। इस विधेयक में ह्यब्रिज कोर्सह्ण का एक विवादित प्रावधान भी शामिल किया गया था जिसके जरिए वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों (आयुष) की प्रैक्टिस करने वालों को एलोपैथी की प्रैक्टिस करने की छूट होती। संसदीय समिति ने मार्च 2018 में अपनी सिफारिशें दी थीं, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने विवादित प्रावधान हटा दिया और लोकसभा में आधिकारिक संशोधन पेश करने से पहले समिति द्वारा सुझाए गए कुछ अन्य बदलाव भी किए।
इस बीच, एमसीआई के निर्वाचित निकाय का कार्यकाल पूरा होने के करीब आने पर केंद्र ने शीर्ष संस्था को भंग कर दिया और पिछले साल सितंबर में अध्यादेश जारी कर सात सदस्यीय बोर्ड आॅफ गवर्नर (बीओजी) को नियुक्त किया ताकि घोटाले के दाग से घिरे मेडिकल शिक्षा क्षेत्र की नियामक संस्था को संचालित किया जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को लोकसभा में ह्यराष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोगह्ण (एनएमसी) विधेयक को सबसे बड़ा सुधार करार दिया। यह आयोग 63 साल पुरानी भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) का स्थान लेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक को लेकर आईएमए (भारतीय चिकित्सा संघ) की वास्तविक चिंताओं को दूर कर लिया गया है। सदन में विधेयक पेश कर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए नई व्यवस्था स्थापित करेगा। हर्षवर्धन ने विधेयक को गरीबों के हित में बताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी कॉलेज में 50 फीसदी सीटें गरीब तबके के मेरिटधारी छात्रों की पहुंच में होंगी। उन्होंने कहा कि जब इतिहास लिखा जाएगा, तब यह विधेयक सबसे बड़े सुधार के रूप में दर्ज होगा।