National Handloom Day: पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, ‘वोकल फॉर लोकल’ के लिए दोहराई अपनी प्रतिबद्धता

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National Handloom Day पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, 'वोकल फॉर लोकल' के लिए दोहराई अपनी प्रतिबद्धता
National Handloom Day : पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, 'वोकल फॉर लोकल' के लिए दोहराई अपनी प्रतिबद्धता

10th National Handloom Day, (आज समाज), नई दिल्ली: देश आज 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहा है और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुभकामनाएं! उन्होंने कहा, हमें अपने देश में हथकरघा की समृद्ध विरासत और जीवंत परंपरा पर बहुत गर्व है। हम अपने कारीगरों के प्रयासों को भी संजोते हैं और ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराते हैं।

  • पीएम मोदी ने 2015 में की शुरुआत

दिल्ली : विज्ञान भवन में मनाया जाएगा दिवस

राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में आज 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाएगा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह और विदेश एवं कपड़ा राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा इस समारोह में शामिल होंगे। सांसद, प्रख्यात हस्तियां, डिजाइनर, उद्योग प्रतिनिधि और निर्यातक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और देश भर से 1000 से अधिक बुनकर इस समारोह में शामिल होंगे। समारोह के दौरान हथकरघा क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए हथकरघा बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देना मकसद

बता दें कि पीएम मोदी ने 2015 में हथकरघा बुनकरों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने के मकसद से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत की थी। यह दिन हथकरघा बुनकरों के कौशल और शिल्प कौशल का जश्न मनाने के लिए है। इसका उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देना है। यह दिन बुनकरों को सशक्त बनाने और उनकी सामाजिक व आर्थिक भलाई सुनिश्चित करते हुए अपनी अनूठी हथकरघा विरासत को संरक्षित करने व बढ़ावा देने के लिए भी भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

इतिहास और महत्व जानना जरूरी

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारत की हथकरघा विरासत की विविधता और समृद्धि का जश्न मनाने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करता है। इसलिए, जैसा कि हम इस वर्ष 2024 में 10वां हथकरघा दिवस मना रहे हैं, यहां आपको इस दिन और दिन के पीछे के इतिहास और महत्व के बारे में जानने की जरूरत है।

स्वदेशी आंदोलन से जुड़ी हैं जड़ेंं

भारत में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की जड़ें स्वदेशी आंदोलन से जुड़ी हैं, जिसे 7 अगस्त, 1905 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के दौरान शुरू किया गया था। यह बंगाल के विभाजन के ब्रिटिश सरकार के फैसले के जवाब में था, जिसमें हथकरघा ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया। भारतीय शिल्प को बढ़ावा देने और स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने के माध्यम से, इसने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को पुनर्जीवित करने व भारतीय भाषाओं, कलाओं और शिल्प के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया।