हकेवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की हुई शुरूआत
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में सतत विकास के लिए शिक्षा पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सोमवार को शुभारंभ हो गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी ने शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस), नोएडा की अध्यक्ष प्रो. सरोज शर्मा ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में एनआईओएस की अध्यक्ष प्रो. सरोज शर्मा ने किया संबोधित
विश्वविद्यालय की शिक्षा पीठ द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) द्वारा प्रायोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी की शुरूआत शैक्षणिक खंड चार स्थित सम्मेलन कक्ष में दीप प्रज्जवलन व विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विषय की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि आज जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आ चुकी है, ऐसे में बेहद जरूरी है कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था का विकास हो जो कि सतत विकास की पोषक हो। उन्होंने शिक्षा पीठ के इस आयोजन को समसामयिक बताते हुए कहा कि आज मातृभाषा में शिक्षा, कौशल विकास केंद्रित शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है जो कि हमें सतत विकास के मार्ग पर अग्रसर करेगी। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफलतम क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय दृढ़ संकल्प है और हमारी कोशिश है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु हम ऐसे युवाओं को तैयार करें जो कि देश के विकास में सक्रिय भागीदारी निभाए। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. सरोज शर्मा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए शिक्षा के पुरातन भारतीय स्वरूप का उल्लेख कर उसकी उपयोगिता और आज के समय में उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से शिक्षा के मोर्चे पर जारी बदलावों का उल्लेख किया और कौशल विकास के साथ-साथ वैल्यू एजुकेशन पर जोर दिया। प्रो. सरोज शर्मा ने सर्वे भवन्तु सुखिनः को शिक्षा को मूल उद्देश्य बताया।
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. आर.पी. तिवारी ने भारतीय सभ्यता के विकास और उसमें वर्णित शिक्षा परम्परा का उल्लेख करते हुए मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में बदलावों और उनकी उपयोगिता पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की गुरुकुल परम्परा सदैव ही समूचे विश्व को एक मानने का पाठ पढ़ाती है। उसी शिक्षा परम्परा का परिणाम था कि भारत पुरातन काल में शिक्षा का केंद्र था। प्रो. तिवारी ने अपने संबोधन में शिक्षा व्यवस्था में अंग्रेजी शासन के दौरान आए बदलावों का उल्लेख करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि यह शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परम्परा और पुरातन शिक्षा व्यवस्था की पोषक है। उन्होंने नई शिक्षा नीति में दिए गए मल्टीडिसीप्लनरी व्यवस्था, कौशल विकास और सतत विकास के अवसरों की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार के नेतृत्व में जारी विभिन्न प्रयासों की सराहना की और कहा कि अवश्य ही विश्वविद्यालय शिक्षा नीति के सफलतम क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगा। कार्यक्रम के आंरभ में स्वागत भाषण शिक्षा पीठ की अधिष्ठाता प्रो. सारिका शर्मा ने दिया जबकि दो दिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा विभाग के प्रो. प्रमोद कुमार ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. आरती यादव ने किया। इस आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, प्रो. रंजन अनेजा, प्रो. आनंद शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। संगोष्ठी के आयोजन में डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. दिनेश चहल, डॉ. रेनु यादव, डॉ. खेराज, डॉ. किरण रानी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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