करनाल, 3अप्रैल, इशिका ठाकुर:
करनाल स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान में 8 से 10 अप्रैल को डेयरी मेले का आयोजन किया जाएगा। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर शिरकत करेंगे।
एनडीआरआई में लगने वाले डेयरी मेले की जानकारी सांझा करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ धीर सिंह ने प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान अपना 100 वां स्थापना दिवस मना रहा है इस उपलक्ष में पूरे साल भर चलने वाले विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में डेयरी मेले का आयोजन संस्थान के परिसर में 8 से10 अप्रैल को किया जायेगा है।
कोविड-19 के कारण पिछले 2020 से मेले का आयोजन नहीं किया जा सका। डॉ धीर सिंह ने कहा कि इस बार मेले में लगभग 50 हजार किसानों के पहुंचने की संभावना है इसके साथ ही अबकी बार मेले में प्रगतिशील किसान भी समान रूप से इसमें सहभागी होंगे तथा अपने अपने प्रोडक्ट के स्टाल लगाएंगे। डेयरी मेले में स्टार्टअप के तहत युवा भी अपने प्रोडक्ट लेकर प्रदर्शन करने संस्थान में पहुंचेंगे। मेले के दौरान, बड़ी संख्या में उच्च नस्ल के दुधारू पशु विभिन्न दुग्ध उत्पादन और नस्ल प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे।
अनुसंधान और विकास संगठन, निजी कंपनियां और प्रगतिशील किसान आदि सहित सभी डेयरी हितधारक अपने उत्पादों/प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगे। मेले के दौरान किसान संगोष्ठी और विशेषज्ञों द्वारा विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। लगभग 100 स्टॉल होंगे जिनमें कई स्टार्ट अप और युवा अपने उत्पादों/तकनीक का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछला डेयरी मेला 15 से 17 फरवरी, 2020 तक आयोजित किया गया था और 3 साल के अंतराल के बाद फिर से इस का आयोजन किया जा रहा हैं।
निदेशक ने आगे बताया कि 100 वर्षों में एनडीआरआई ने दूध उत्पादन और मवेशियों की नई नस्लों जैसे करण स्विस और करण फ्राइज़ का विकास किया है डेयरी पशुओं के लिए विशिष्ट खनिज मिश्रण तैयार किया गया है। भैंस और गिर दोनों जानवरों की क्लोनिंग की शानदार सफलता के साथ क्लोनिंग तकनीक नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। कई नए डेयरी उत्पाद और प्रोबायोटिक्स विकसित किए गए हैं। एनडीआरआई के पास अब दूध में मिलावट की जांच के लिए एक अच्छी तरह से विकसित रेफरल प्रयोगशाला है और दूध में कीटनाशक, मिलावट आदि की जांच के लिए विभिन्न पेपर स्ट्रिप्स भी विकसित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में सभी डेयरी स्नातकों में से लगभग 80% ने या तो राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में अध्ययन किया है या उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। आज दुग्ध उत्पादन में 6% की वृद्धि हो रही है लेकिन न केवल दुग्ध उत्पादकता बल्कि दुग्ध गुणवत्ता को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज (मीलेट) वर्ष घोषित किया गया है। इसके पीछे संयुक्त राष्ट्र और सरकार का उद्देश्य है कि लोग देसी अनाज का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। इस घोषणा के बाद किसानों की खेती और इसके उत्पादों के सेवन पर संस्थान में जोर दिया जाएगा।
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