Narayan Sewa Sansthan
गौतम तारीफ, कैथल:
Narayan Sewa Sansthan : दिव्यांग होने के कारण मुस्कान भूल चुके मासूमों के चेहरे अब खुशी से खिलखिला रहे हैं। अब तक पैरों में दिक्कत होने के कारण परेशानी झेलने वाले बचपन को खुशियों की सौगात मिल गई है। यह सब संभव हो पाया नारायण संस्थान उदयपुर की निस्वार्थ और निशुल्क सेवा से।
दे रहे इलाज के साथ कृत्रिम अंग भी
योजना के तहत यहां देशभर के दिव्यांगों, मासूमों, महिला-पुरुषों के स्वास्थ्य की जांच के बाद आॅपरेशन हो रहे हैं। वह भी बिल्कुल मुफ्त। इतना ही नहीं संस्थान दिव्यांगों को निशुल्क कृत्रिम अंग भी उपलब्ध करा रहा है। नारायण संस्थान के मसीहा समय-समय पर कृत्रिम अंगों की मरम्मत भी करते हैं। अगर बात करें कैथल की तो यहां नारायण संस्थान शाखा कैथल के प्रधान डॉ. विवेक गर्ग की अगुवाई में शाखा लगातार सात सालों से गरीबों तथा जरूरतमंदों की सेवा कर रही है।
अब तक 150 दिव्यांगों को मिला आशीर्वाद
जिले में अब तक 150 से अधिक बच्चे नारायण से आशीर्वाद प्राप्त पर दिव्यशक्तिशाली का वरदान प्राप्त कर चुके हैं। फरवरी माह से लेकर अबतक तीन बच्चों को नई जिंदगी मिली चुकी है।
नीतू के चलते ही दौड़ने लगी दुनिया
बहादुरगढ़ की नीतू शर्मा पुत्री पवन शर्मा जन्म से ही चलने-फिरने में असमर्थ थी। लाड़ली के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पिता अपनी दिव्यांग बेटी को लेकर नामी अस्पतालों के दरबार में भी पहुंचे, लेकिन कोई नीतू के चेहरे पर मुस्कान नहीं आ सकी। फिर वह 2 जनवरी को बेटी को लेकर कैथल पहुंचा जहां हनुमान वाटिका में दिव्यांगों के लिए निशुल्क चेकअप कैंप लगाया हुआ था। यहां डॉक्टर्स टीम ने नीतू का चेकअप किया और अपने उदयपुर स्थित संस्थान के अस्पताल में भेज दिया वो भी अपने खर्च पर। यहां के निपुण डॉक्टर्स की टीम ने नीतू शर्मा का निशुल्क आपरेशन किया। उसी की बदौलत आज नीतू शर्मा के चेहरे पर मुस्कान आ गई है।
सहजप्रीत पैर ठीक, चलना-फिरना भी सहज
जिला कैथल के गुल्हा का रहने वाला महज दस साल का सहजप्रीत की पैरों में प्रॉब्लम थी और चल-फिर नहीं पा रहा था। किसी ने उसके पिता परमजीत को बताया कि हनुमान वाटिका कैथल में दिव्यांगों के लिए 2 जनवरी को कैंप लगाया जा रहा है। यह सूचना मिलने के बाद परमजीत अपने दिल के टुकड़े को लेकर कैंप में पहुंचा तो यहां डॉक्टर्र्स ने उसकी जांच के बाद नारायण संस्थान उदयपुर के हॉस्टिपल में भेज दिया। वहां पर चिकित्सकों ने उसका सफल आॅपरेशन किया वो भी निशुल्क। नारायण के आशीवार्द से आज मासूम हंसी-खुशी जिंदगी जी रहा है।
आपरेशन से पार कर लिया दिव्यांगता का पहाड़
आयु महज चार साल। नाम केविन। बच्चों की किलकारियां सुन उसने साथ खेलने का मन करता था, लेकिन दिव्यांगता पहाड़ बनी हुई थी। बेटे को बिस्तर में पड़ा देख पिता नवीन के घर में मायूसी छाई हुई थी। किसी नेकदिल ने नवीन को हनुमान वाटिका कैथल में दिव्यांगों के लिए आयोजित कैंप के बारे में बताया। इसके बाद केविन को लेकर कैंप में पहुंचा। यहां डॉक्टर्स ने उसकी जांच कर उदयपुर अस्पताल भेज दिया। यहां डॉक्टर्स टीम ने केविन की टांगों को आपरेशन कर दिया जिसके चलते आज केविन ठीक है और उसके गांव तितरम (कैथल) के लोग नारायण को दुआ दे रहे हैं।
ये हैं शक्तिशाली बनाने वाले देवदूत
नारायण सेवा संस्थान शाखा कैथल की संस्था प्रधान डॉ. विवेक गर्ग के अगुवाई में संस्थान के सिपाही सतपाल मंगला, सोनू बंसल, राजेश गर्ग, दुर्गा प्रसाद, साहिल, रमेश व अशोक गर्ग मिलजुल कर सात सालों से दिव्यांग और बेसहारा लोगों की निस्वार्थ भाव से निशुल्क मदद कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा जरूरी हिम्मत और हौसला: डॉ. विवेक
इस बारे में प्रधान नारायण सेवा कैथल शाखा के डॉ. विवेक गर्ग कहते हैं कि तन से दिव्यांग होना कुछ नहीं होता। व्यक्ति को दिमाग से दिव्यांग नहीं होना चाहिए। नारायण संस्थान दिव्यांगों का निशुल्क इलाज व कृत्रिम अंग तो प्रदान करती है साथ ही उनमें हिम्मत, हौंसला और जुनून देने का प्रयास करती है ताकि वे अपने परिवार और राज्य का नाम देश-दुनिया में रोशन कर सकें।
Narayan Sewa Sansthan
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