Naraingarh News | नारायणगढ़। घरों से कूड़ा उठाने वाले कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए होने वाली बैठक ठेकेदार के उपलब्ध न होने के कारण स्थगित। एसडीएम ने 22 जुलाई को सभी पक्षों की दोबारा बैठक बुलाई। सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के सचिव का. सतीश सेठी डोर टू डोर कर्मचारी यूनियन के प्रधान सतीश कुमार व नगरपालिका कर्मचारी संघ के प्रधान सागर ने संयुक्त रूप से प्रेस बयान जारी कर कहा कि पिछले सात महीने से ठेकेदार वर्क आर्डर की शर्तों को लागू नही कर रहा है।
आर्डर में क्रम संख्या 4 व 5 पर शर्त है कि ठेकेदार सभी लगाए गए कर्मचारियो को ईएसआई कार्ड, यूनिफार्म, ग्लब्स व सेफ्टी किट देगा। परंतु इन सभी सुविधाओ से कर्मचारी वंचित है। इस दौरान कई कर्मचारियो को अपने व आश्रित परिवारजनों के इलाज पर लाखो रुपए खर्च करने पड़े है। यदि उनके पास ईएसआई कार्ड होते तो उनका ईलाज बेहतर व निशुल्क होता। यह एक दंडनीय अपराध है।
इसके इलावा ठेकेदार रिफ्लेक्टर को ही वर्दी बताने में लगा हुआ है। यही नही श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए मनमर्जी के कानून लागू किए जा रहे है। कर्मचारियो के लिए कोई छुट्टी नही है। और तो छोड़िए वेतन तक समय पर नही मिलता। जून महीने का वेतन अभी तक पेंडिंग है। मांगने पर काम बंद करने की धमकी देता है। ठेकेदार कम वेतन में ज्यादा काम ले रहा है। बोलने पर नोकरी से बाहर कर देता है।
का. सेठी ने कहा कि यूनियन बनाना उसकी गतिविधियों में भाग लेना कर्मचारी का लोकतांत्रिक व सवैधानिक अधिकार है। परंतु ठेकेदार सब अधिकारों को कुचलकर सफाई कर्मियों से गुलामो की तरह काम ले रहा है। कर्मचारी नेताओ ने कहा कि यूनियन इस बारे सम्बंधित ठेकेदार, प्रिंसिपल इम्पलॉयर कम सेकेट्री नगरपालिका, चेयरपर्सन व एसडीएम तक को अपना दुखड़ा सुना चुकी है।
यंहा तक कि माननीय मुख्यमंत्री नायब सैनी की पत्नी को भी गुहार लगा चुकी है। परंतु कंही कोई सुनवाई नही हो रही है। का.सतीश सेठी ने कहा कि सीटू ने समाधान शिविर में भी यह शिकायत 27 जून को दर्ज करवाई थी। इसमें आज 10 जुलाई को बैठक होनी थी। परंतु ठेकेदार के न होने के कारण अगली डेट 22 जुलाई मिली है।
इससे पहले भी सेकेट्री नगरपालिका के बुलावे पर ठेकेदार 10 जून की बैठक में हाजिर नही हुआ था। ठेका की अवधि में मुश्किल से पांच महीने बचे है। का.सेठी ने कहा कि सफाई कर्मचारियों से बिना वेतन के बेगार करवाना कानूनी अपराध है। पहले 70 दिन काम लिया जब उसके बदले वेतन देने की बात आई तो सब कन्नी काट रहे है। 70 दिन की बजाए 30 दिन के वेतन का क्लेम उच्च अधिकारियों को गलत रिपोर्ट भेजकर खटाई में डाल दिया है।
इससे हर कर्मचारी को लगभग 32 हजार रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए जिम्मेवारी तय होनी चाहिए। कर्मचारी नेताओ ने कहा कि यदि 22 जुलाई की बैठक में कोई सम्मानजनक हल नही निकला तो बैठक कर अगले आंदोलन का एलान किया जाएगा।
का. सेठी ने कहा कि आंदोलनकारी किसानो को दिल्ली जाने से रोकने पर 6 पुलिस अफसरों को वीरता पुरस्कार देने के प्रदेश सरकार के फैसले की सीटू कड़ी निंदा करते हुए इसे वापिस लेने की मांग करता है। प्रतिनिधिमण्डल में उक्त के इलावा धर्मवीर, दर्शन लाल, आदर्श, संदीप, लख्मी व प्रदीप शामिल थे।
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