नाग पंचमी आज, करवाएं कालसर्प दोष की शांति

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naag panchmi
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मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
सनातन संस्कृति में नाग को पूजनीय माना गया है। हर साल श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। यह दिन पूर्ण रूप से नाग देवता को समर्पित है। इस दिन नाग देवता के लिए व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई अन्य प्रकार के भी शुभफल प्राप्त होते हैं।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त
 पंचमी तिथि प्रारंभ 12 अगस्त 2021 को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर
 पंचमी तिथि समाप्त 13 अगस्त 2021 को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
  नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त 2021 सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी व्रत के लिए तैयारी चतुर्थी के दिन से ही शुरू हो जाती हैं। चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें। इसके बाद पंचमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें। फिर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें।पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारी उतारें। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें। वैसे तो सावन के महीने का हर दिन भगवान भोलेशंकर का दिन होता है। पूरे महीने कृपानिधान शिव शंकर कृपा बरसाते हैं लेकिन इस दिन नागपंचमी का दिन बेहद ही खास है क्योंकि इस दिन भगवान आशुतोष का प्रिय आभूषण उनके गले का हार यानि नाग देवता की पूजा करके आप अपनी हर मनोकामना को पूरा कर सकते हैं। यही नहीं यदि आप कालसर्प दोष से ग्रसित हैं तो इस दिन उसका भी निवारण किया जा सकता है। नाग की पूजा से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन की हर बाधाओं को दूर कर देते हैं। भगवान विष्णु भी शेषनाग की शय्या पर लेटे हैं। इसलिए भी इनकी पूजा होती है। नागपंचमी का महत्व, पूजा का विधान और अपनी मनोकामना को कैसे पूरा करें। आइए आपको क्रमवार बताते हैं।
हिन्दू धर्म में हर पशु- पक्षी को किसी न किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है। भगवान शिव के गले में नाग होने से इसकी पूजा आदिकाल से की जा रही है। और इस पर्व को नाग पंचमी कहा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पूजन से मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन भारत के कई क्षेत्रों में व्रत भी रखे जाते हैं। इस पंचमी पर कई अंचलों में द्वारों पर भित्ति चित्रों की तरह विषधारी नाग बनाए जाते हैं तथा उनका पूजन किया जाता है। नारद पुराण में भी सर्पदंश से बचाव हेतु नाग व्रत का विधान बताया गया है। ग्रामीण अंचलों में  इस दिन दीवारों पर सात नागों के चित्र बना क उनका पूजन किया जाता है। एक रस्सी में 7 गाठें लगाकर सर्प की आकृति बनाई जाती है और  विधिवत् निम्न मंत्र से पूजन किया जाता है।
अनन्तमं वासुकि, शेषम, पदनाभम, चकभ्बलम, कींटकम, तक्षक्म!!
इस दिन कच्चे दूध में गुड़ या चीनी मिलाकर सांप की बांबी या बिल के बाहर रखते हैं। नागपंचमी के दिन ही ग्रामीण क्षेत्रों  में लड़कियां कपड़े की बनाई गुड़िया विसर्जित करती हैं। लड़के इन गुड़ियों को डंडे से खूब पीटते हैं और बहनें उन्हें पैसे और आशीर्वाद देती हैं।
काल सर्प दोष – नागपंचमी  एवं ज्योतिष
जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन पूजा करने से इस दोष से छुटकारा मिल जाती है। यह दोष तब लगता है, जब समस्त ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा राहु-केतु की वजह से यदि जीवन में कोई कठिनाई आ रही है, तो भी नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने पर राहु-केतु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है। जिनकी जन्मपत्रियों में   शनि की दशा या   शनि की स्थिति अच्छी नहीं है या शनि के कारण अशुभ फल मिल रहे हों। उन्हें इस अवसर पर सांप को दूध अर्पित करने  से लाभ मिलता है। यहां यह बताना हितकर होगा कि आप दूध के पैसे सपेरे को न दें अपितु परोक्ष रूप से नाग को अर्पित करें। यदि सपेरा स्वयं दूध पी जाता है या आप द्वारा दिए गए पैसों का भोजन कर लेता है तो उस उपाय अथवा दान का कोई माहात्म्य नहीं रह जाता। आप उपाय भी करें और उसका लाभ भी न हो इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिये। सर्पपालक की शुल्क के तौर पर उसे अलग धन राशि दी जा सकती है। इसके अतिरिक्त नवनाग स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है। चांदी का नाग बना कर मध्यमा में धारण किया जा सकता है। शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठानपूर्वक चढ़ाया जा सकता है। तांबे के लोटे में नाग के जोड़े डाल कर, बहते जल में प्रवाहित किये जा सकते हैं। इस दिन राहु यंत्र भी रखा जा सकता है।  काल सर्प दोष निवारण यन्त्र स्थापित एवं धारण किया जा सकता है। यह अवसर काल सर्प दोष की शान्ति पूजा करवाने के लिए सर्वथा उचित होता है। मंदिर में ऐसी पूजा का विशेष प्रावधान भी किया जाता है। किसी कारण सुयोग्य कर्मकांडी उपलब्ध न हो तो आप खुद भी ओम् रां राहुवे नम: मन्त्र का या ओम  कुरूकुल्ये हुं पट स्वाहा 108 बार जाप करके शिव प्रतिमा पर दुग्ध ,नाग नागिन की प्रतिमाएं आदि अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा काल सर्प जनन शान्ति  नारायण नागबली इत्यादि त्रयंबकेश्वर ज्यार्तिलिंग, नासिक में भी कराई जाती हैँ। घर या मंदिर में पंचदशी यन्त्र की सिद्घि नागपंचमी के दिन श्रेष्ठ मानी गई है। इस दिन काले तिल, काले उड़द,काली राई, नीला वस्त्र, जामुन, काला साबुन, कच्चे कोयले, सिक्का-रांगा या लैड आदि  दान अथवा चलते पानी में प्रवाहित करने से विशेष लाभ मिलता है। नाग पंचमी पर यदि भवन निर्माण कराना हो तो नींव में सर्प की आराधना के पश्चात् चांदी का सर्प रखा जाता है। लाल किताब के अनुसार चलते पानी में नारियल, मसर की दाल व कच्चा कोयला बहाना अच्छा रहता है। रसोई में ही खाना खाना नागपंचमी पर अच्छा होगा। शयन कक्ष में लाल रंग के पर्दे, तकिये, चादर आदि उपयोग किए जा सकते हैं। जन्मांगानुसार, इसी दिन गोमेद या लहसुनिया पहनने का लाभ रहेगा। इसके लिए आप अपने ज्योतिष परामर्शदाता की सलाह अवश्य लें। कालसर्प दोष निवारण हेतु आप भी  नागपंचमी पर विशेष लाभ उठा सकते हैं। श्री यंत्र पूजा स्थान पर रखें। नाग पंचमी पर नागमंदिर में दूध चढ़ाएं। कांसे की थाली में हलवा बना के बीच में चांदी का सर्प रख के दान करें। शिव आराधना करें। सवा मीटर नीला वस्त्र, नारियल, काले तिल, शीशा, सफेद चंदन, काला सफेद कंबल, सरसों का तेल, सात अनाज दान करें। सूर्य-चंद्र ग्रहण या नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक करवाएं, चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा तांबे के पात्र में शहद भर के रखें पूजा के बाद विसर्जित कर दें। ओम रां राहवे नम: तथा ओम कें केतवे नम: का 108 बार जाप करें। पुष्य नक्षत्र या सोमवार को महादेव पर जल एवं दूध चढ़ाएं। महामृत्युंज्य मंत्र का जाप करें या कैसेट सुनें।  ओम नम: शिवाय का जाप करें। मध्यमा में नाग की अंगूठी पहनें। सर्प को दूध पिलाएं। काल सर्प योग की अंगूठी, लाकेट, यंत्र, गोमेद या लहसुनिया की अंगूठी धारण की  जा सकती है। 500 ग्राम का पारद शिवलिंग बनवा के रुद्राभिषेक कराएं। ओम नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु, ये अंतरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: स्वाहा !! का 31000 मन्त्र जाप करें। मंगल या शनिवार हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर, चमेली का तेल, लाल चोला या झंडा चढ़ाएं। महामृत्युंज्य मंत्र की एक माला करें या श्रावण मास में रुद्राभिषेक करवाएं। घर में मोरपंख रखें। ओम नमो वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। एकाक्षी नारियल पर चंदन से पूजन कर के 7 बार सिर से घुमा के प्रवाहित कर दें। सांप को सपेरे की मदद से दूध पिलाएं। नव नाग स्तोत्र का जाप करें। राहू यंत्र पास रखें या बहाएं। नाग पंचमी पर  वट वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा करें।
मयूर पंख, कालसर्प दोष में सहायक है -जानिए कैसे करें इसका उपयोग
े यह शिवपुत्र कार्तिकेय तथा विद्यादायिनी सरस्वती का वाहन है।
े इसे भगवान कृष्ण ने अपने रत्न जड़ित मुकुट में धारण किया था। कालिया नाग का वध किया था।
े मोर की सर्प से शत्रुता है। इसलिए इसे कालसर्प दोष से ग्रसित लोगों के लिए मोर पंख सहायक माना जाता है।
े हिन्दू- मुसलमान दोनों ही इसे धार्मिक कार्यो तथा झाडफूंक या दुरात्माओं के प्रभाव से मुक्त करने के लिए करते है।
े इसे मजार ,पूजा गृहों के अलावा पाठ्य पुस्तकों में रखा जाता है।
े धर्मशास्त्रों, ग्रंथों, वास्तुशास्त्र, ज्योतिष शास्त्र व आयुर्वेद में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।
े तकिये के अंदर  सोमवार के दिन 7 मोरपंख डालें, बच्चा चौंकेगा नहीं, सापों के सपने नहीं आएंगे।
े शयनकक्ष की पश्चिमी दीवार पर 11 पंखों का पंखा बना कर लगा दें।
े घर के दक्षिणी-पूर्व कोने में मोर पंख लगाने से बरकत बढ़ेगी।
े लाकर्स या धनस्थान या गल्ले में रखने से धन,सुख समृद्घि में वृद्घि होती है।
े ताबीज में मोर पंख भर कर बच्चे को पहनाएं, डरेगा नहीं।
े मयूर पंख घर की दीवारों पर लगाने से कीड़े मकौड़े मच्छर मक्खी कम आते है
े कालसर्प दोष एवं संतान प्राप्ति के लिए इसे शयन कक्ष में रखना अति उत्तम होता है।