इशिका ठाकुर, करनाल,16मार्च:
डीएवी पीजी कॉलेज में नैक कमेटी की ओर से क्वालिटी असेसमेंट एन्हैन्स्मन्ट इन हायर एजुकेशन इन द लाइट आफ न्यु फ्रेम वर्क आफ नैक विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया। जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लगभग 150 से अधिक बुद्धिजीवियों, प्रोफेसर्स, शोधार्थियों ने भाग लिया।
नैक सेमिनार में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के रजिस्ट्रार डॉ संजीव शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्य अतिथि का महाविद्यालय में पहुंचने पर कॉलेज प्राचार्य डॉ रामपाल सैनी, नैक कमेटी की संयोजक डॉ ऋतु कालिया ने स्टाफ सदस्यों सहित फूल का पौधा भेंट कर स्वागत किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत रूप से मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
प्राचार्य डॉ रामपाल सैनी ने सेमिनार में पहुंचे बुद्धिजीवियों, प्रोफेसर्स, शोधार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि यदि हम हायर एजुकेशन में गुणवत्ता लाना चाहते हैं, तो हमें इसकी चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। संसाधनों का निर्माण करना होगा, खामियों को दूर करना होगा तभी हम शिक्षा की गुणवत्ता पर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज गुणवत्तापरक शिक्षा प्रणाली के विकास के लिए शिक्षण संस्थानों की ओर देख रहे हैं। हमें विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य, और ढांचागत विकास के लिए उच्च शिक्षा को बेहतरीन और जवाबदेह बनाना होगा। जिससे हम सभी लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ ऋतु कालिया ने नैक सेमिनार के विषय में जानकारी देते हुए वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि डॉ संजीव शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ बेहतरीन शिक्षा प्रणाली को विकसित का कार्यक्रम है। जिसको लेकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेज में इसे लागू करने के लिए सभी पहलुओं के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन इसे लागू करने से पहले संस्थानों को सभी तैयारियां करनी होगी, जिसमें दाखिला प्रक्रिया, विषयों का संयोजन इत्यादि शामिल है।
राष्ट्रीय सेमिनार के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते नैक की जरनल कांसिल के सदस्य एवं अग्रवाल कॉलेज बल्लभगढ़ के प्राचार्य डॉ कृष्ण कान्त ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए समस्या का समाधान ढूंढना होगा न कि सामान। उन्होंने कहा कि हमें संसाधनों को खुद ढुंढना होगा, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैटीरियल, मैकेनिज्म, क्वालिटी, के साथ अन्य जरूरी संसाधनों का विस्तार करना होगा, तभी हम शिक्षण संस्थाओं में बेहतरीन शिक्षा प्रणाली की स्थापना की ओर बढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आप विद्यार्थियों में शिक्षा के उद्देश्यों को देखना चाहते हो तो शिक्षा व्यवस्था में जरुरी सुधार करने होंगे, जिसमें हमें लक्ष्यों पर नहीं मूल कारणों पर अमल करना होगा। जिसमें सबको शामिल कर जिम्मेदार बनाना होगा।
तकनीकी सत्र में ऑनलाइन माध्यम द्वारा बंगलौर से जुड़ी रिर्सोस पर्सन डॉ प्रिया नारायणन ने शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के उठाए जाने वाले कदमों से अवगत कराया। उन्होंने शिक्षण संस्थानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और उनसे उभरने की भी विस्तार से जानकारी दी।
जीएमएन कॉलेज अंबाला के पुर्व प्राचार्य डॉ राजपाल सिंह ने नैक का उद्देश्य शिक्षण संस्थानों में शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाना है, जिसके लिए सभी मापदंडों पर खरा उतरकर वास्तविक रूप में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए परिणामों की बजाय प्रमाणिकता पर फोकस करना होगा। उन्होंने बताया कि बहुत सारे ऐसे कारक है जो इसमें बाधक है, जैसे शोध का अभाव, गुणवत्तापरक शिक्षा, जीईआर को बढ़ावा देना,सभी के समाधान खोजकर इस पर काम करना होगा। तभी हम नैक के उद्देश्यों को पूरा कर शिक्षण संस्थानों को इस दायरे में ला सकेंगे।
मुख्यमंत्री प्रतिनिधि संजय बठला ने भी शिक्षा नीति की विशेषताओं को बताते हुए , उसको ठोस रुप से लागू करने पर जोर दिया,
डीएवी कॉलेज पेहवा के प्राचार्य डॉ कामदेव झां तथा गुरु नानक खालसा कॉलेज करनाल के प्राचार्य डॉ गुरिंदर सिंह ने भी नैक के उद्देश्यों और शिक्षण संस्थानों की ज़िम्मेदारी और दायित्वों के बारे में बताया।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ. रामपाल सैनी व कार्यक्रम की संयोजक डॉ ऋतु कालिया ने अतिथियों को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। मंच संचालन डॉ ऋतु कालिया व डॉ ज्योति मदान ने किया।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी स्टाफ सदस्यों सहित देश के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के विद्वान उपस्थित रहे।
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