Muslim parties surprised at the news of withdrawal of Sunni Waqf Board case: मुस्लिम पक्षकारों ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के मामला वापस लेने की खबर पर जताई हैरानी

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एजेंसी , नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद में जैसे -जैसे मामले के निर्णय की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे अफवाहों का बाजार भी गर्म है। खबर थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना दावा वापिस ले रहा है। जबकि शुक्रवार को मुस्लिम पक्षकारों ने बयान जारी कर सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा मामला वापस लेने संबंधी खबरों पर शुक्रवार को हैरानी जताई। अयोध्या भूमि विवाद में अहम मुस्लिम वादी एम सिद्दीक के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर सभी मुस्लिम पक्षों ने समझौते को खारिज कर दिया है क्योंकि विवाद के मुख्य हिंदू पक्षकार मध्यस्थता प्रक्रिया और इसके तथाकथित समाधान का हिस्सा नहीं थे। सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर मुस्लिम पक्षकारों ने स्पष्टीकरण बयान जारी कर कहा कि वे उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझाने के लिए तथाकथित समझौते के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। बयान में कहा गया, ”हम सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी के हवाले से मीडिया में आ रही इन खबरों से हैरान हैं कि उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड बाबरी मस्जिद स्थल पर अपना दावा वापस लेने का इच्छुक है। इसमें कहा गया है, ”हम यह बिल्कुल स्पष्ट करना चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष हम, अपीलकर्ता, प्रेस को लीक किए गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते, हम न ही मध्यस्थता की प्रक्रिया को स्वीकार करते हैं और न ही दावे की वापसी को समझौता बनाने वाले तरीके को स्वीकार करते हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले पर 40 दिन सुनवाई करने के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ऐसा बताया जाता है कि इसी दिन मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट भी न्यायालय को सौंपी गई थी।