मुंडका अग्निकांडः बरामद डीवीआर खोलेगी कई और राज

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Mundka fire: Recovered DVR will reveal many more secrets

आज समाज डिजिटल,नई दिल्ली:

मुंडका अग्निकांड मामले में इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना के बाद से मनीष फरार चल रहा था। रविवार को इसके पहले कि वह दिल्ली से भागकर हरिद्वार के लिए निकलता, उसे पकड़ लिया गया। पुलिस उससे पूछताछ कर इस मामले में कडियों को जोड़ रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह पुलिस से क्यों भागता फिर रहा था? इस मामले के दो अन्य आरोपित मनीष की मां सुशीला व पत्नी सुनीता की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। इस मामले में 27 लोगों की मौत, 15 लोग घायल व 27 लोग लापता हैं।

पुलिस से बचने के लिए यहां वहां भागता रहा मनीष

बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त समीर शर्मा ने बताया कि जब इमारत में आग लगी थी, तब मनीष इमारत की चैथी मंजिल पर स्थित अपने घर में था। उसकी पत्नी चाय बना रही थी। इस दौरान ही मनीष को जलने की बदबू महसूस हुई। इसके कुछ सेकेंड बाद ही उसने सीढ़ी की ओर से धुआं आता देखा। जब उसे महसूस हुआ कि इमारत में आग लग चुकी है, तब वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ इमारत की छत पर पहुंचा। उसने गांव में मौजूद अपने दोस्तों से संपर्क कर कहा कि वह उन्हें इमारत से सुरक्षित बाहर निकालें। उसके दोस्त वहां पहुंचे और सभी सुरक्षित बाहर निकले। जब मनीष को पता चला कि इमारत में 27 लोग जान गंवा चुके हैं और अब पुलिस उसे तलाश रही है, तब वह पुलिस से बचने के लिए यहां वहां भागता रहा। वह हरियाणा में कई जगह गया। इस दौरान वह हनुमान मंदिर में भी रहा। लेकिन उसे इस बात का हमेशा डर सताता रहा कि पुलिस उसका पीछा कर रही है।

जहां मनीष का परिवार रहता था, वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे

तकनीकी छानबीन के आधार पर पुलिस उसकी लोकेशन का पता न लगा ले, इसके लिए उसने मोबाइल को पहले स्विच आफ किया और बाद में उसे नष्ट कर दिया। कुछ स्वजन से उसने नकदी लेकर गुजारा किया। इस बीच वह दिल्ली के घेवरा इलाके में पहुंचा। यहां से वह हरिद्वार जाना चाहता था, लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई और उसे दबोच लिया गया। उपायुक्त ने बताया कि ऊपरी मंजिल पर जहां मनीष का परिवार रहता था, वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे। इसकी डीवीआर बरामद हो चुकी है। डीवीआर से पुलिस अब यह पता लगाएगी कि सीढ़ी का दरवाजा बंद था या नहीं। इस हादसे में अनेक लोगों ने शिकायत की है कि सीढ़ी का दरवाजा बंद होने के कारण इमारत में फंसे लोग बाहर नहीं निकल सके। इस गंभीर आरोप को देखते हुए पुलिस यह पता लगाएगी कि सीढ़ी का दरवाजा बंद था या नहीं। अगर बंद था, तो क्या इसे जानबूझकर बंद किया गया, या यह पहले से ही बंद था। यदि इसे जानबूझकर बंद किया गया तो अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

मनीष ने किरायेदार सत्यापन नहीं कराया

जिस इमारत में आग लगी, उसका निर्माण वर्ष 2011 में हुआ। वर्ष 2017 में इस इमारत को किराये पर दिया गया था। लेकिन मनीष ने किरायेदार सत्यापन नहीं कराया। इमारत को अग्निशमन विभाग की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला था। पुलिस उपायुक्त का कहना है कि नगर निगम व अन्य संबंधित एजेंसियों से इस इमारत की वैधता व यहां चल रही गतिविधि के बारे में जानकारी मांगी गई है। यदि इनमें से किसी भी एजेंसी की लापरवाही सामने आएगी तो निश्चित तौर पर पुलिस उसके खिलाफ मामला दर्ज करेगी। समीर शर्मा, उपायुक्त, बाहरी जिला पुलिस का कहना है कि बरामद शव, अवशेष से डीएनए के नमूने लिए जा रहे हैं। जिन लोगों के स्वजन लापता हैं, उनसे भी नमूने लिए जा रहे हैं। फारेंसिक विभाग अपना काम कर रहा है। दस दिनों के नमूने से लेकर नतीजे तक से जुड़ी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

 

 

 

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