Mrs.Movie: सान्या मल्होत्रा की नई फिल्म ‘Mrs.’ इस वक्त ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर स्ट्रीम हो रही है और जबरदस्त सुर्खियां बटोर रही है। यह फिल्म हर उस महिला की कहानी बयां करती है, जिसके सपने, इच्छाएं और अस्तित्व घर की चहारदीवारी में कहीं खो जाते हैं। आरती कदव के निर्देशन में बनी यह फिल्म 2021 की चर्चित मलयालम फिल्म ‘The Great Indian Kitchen’ का हिंदी रीमेक है।

मगर इसका मैसेज हर भाषा, हर घर और हर महिला की सच्चाई को दर्शाता है। अगर आपने अब तक यह फिल्म नहीं देखी, तो आप एक बेहतरीन सिनेमा अनुभव से खुद को वंचित कर रहे हैं! आइए जानते हैं वो 5 बड़े कारण, जो ‘Mrs.’ को हर किसी के लिए एक ‘मस्ट-वॉच’ फिल्म बनाते हैं—

समाज को आईना दिखाने वाला दमदार ‘सोशल मैसेज’

फिल्म केवल मनोरंजन के लिए नहीं बनी, बल्कि यह समाज के उस सच को उजागर करती है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

शादी के बाद एक औरत का जीवन कैसे बदल जाता है?
उसे सिर्फ एक ‘आदर्श बहू’ और ‘बेहतरीन गृहिणी’ बनने तक सीमित क्यों कर दिया जाता है?
जब एक महिला घर-गृहस्थी में उलझ जाती है, तो उसके सपनों का क्या होता है?

फिल्म की नायिका सान्या मल्होत्रा के किरदार के माध्यम से यह सवाल आपके मन-मस्तिष्क को झकझोर कर रख देगा।

पितृसत्ता की जड़ों को दिखाती है ‘Mrs.’

आज भले ही समाज आगे बढ़ चुका हो, लेकिन कई घरों में महिलाओं की भूमिका वही पुरानी बनी हुई है— सुबह सबसे पहले उठना, खाना बनाना, घर संभालना और सबकी जरूरतें पूरी करना— यही उनकी पहचान बन जाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि सान्या का किरदार अपने ससुर के लिए चप्पल तक लाकर रखता है, पानी हाथ में थमाती है।

आश्चर्य की बात यह है कि इस सबके बावजूद उसे उसका श्रेय तक नहीं दिया जाता। इस तरह फिल्म पितृसत्तात्मक मानसिकता पर सीधा प्रहार करती है और हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सच में महिलाओं को केवल घर तक सीमित किया जाना चाहिए?

हिंसा का वह रूप जो दिखता नहीं, लेकिन गहरा जख्म छोड़ता है

जब भी हम ‘महिला शोषण’ की बात करते हैं, तो अक्सर हमारा ध्यान शारीरिक हिंसा, दहेज उत्पीड़न या मानसिक प्रताड़ना पर जाता है। मगर ‘Mrs.’ में एक अलग ही पहलू दिखाया गया है—फिल्म के पुरुष किरदार हाथ नहीं उठाते, गुस्सा नहीं दिखाते, न ही चिल्लाते हैं।

फिर भी उनके व्यवहार से उत्पीड़न साफ झलकता है, क्योंकि वह महिला की पहचान और इच्छाओं को दबाने का काम करते हैं! इस तरह, फिल्म बताती है कि शोषण के कई रूप हो सकते हैं— कुछ इतने सूक्ष्म कि हम उन्हें समझ ही नहीं पाते!

पाखंडी समाज की सच्चाई को उजागर करती है फिल्म

समाज चाहता है कि लड़कियां पढ़ें, बड़ी डिग्रियां लें, करियर बनाएं…लेकिन शादी के बाद उनसे सिर्फ ‘आदर्श गृहिणी’ बनने की उम्मीद की जाती है।‘Mrs.’ इस दोहरे मापदंड को बखूबी उजागर करती है। फिल्म यह दिखाती है कि—कई घरों में महिलाओं की इच्छाओं को तवज्जो नहीं दी जाती।

उन्हें एक अच्छी पत्नी, बहू और मां बनने की कसौटी पर ही कसा जाता है। समाज में आज भी महिलाओं को उनके सपनों से ज्यादा उनके पारिवारिक दायित्वों से परखा जाता है।अगर आपने अपने आस-पास ऐसा कुछ महसूस किया है, तो इस फिल्म से खुद को आसानी से जोड़ पाएंगे।

निर्देशन और अभिनय का बेहतरीन मेल

फिल्म को शानदार बनाने में लेखन, निर्देशन और बेहतरीन अभिनय का अहम योगदान है—सान्या मल्होत्रा ने अपने किरदार में जान डाल दी है। निशांत दहिया (पति) और कंवलजीत सिंह (ससुर) के किरदारों को देखकर एक वक्त बाद आप उनसे नफरत करने लगेंगे,

और यही उनकी अदाकारी की जीत है! आरती कदव का निर्देशन बेहद संवेदनशील और दमदार है। फिल्म देखते हुए आपको ऐसा लगेगा जैसे यह कहानी सिर्फ परदे की नहीं, बल्कि हमारे आसपास की हकीकत है!

‘Mrs.’ को अपने परिवार के साथ क्यों देखें?

क्योंकि यह फिल्म सिर्फ महिलाओं की नहीं, बल्कि पूरे समाज की कहानी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि बदलाव की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए। यह दिखाती है कि एक महिला की पहचान सिर्फ घर तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसके सपनों को भी महत्व मिलना चाहिए।