- केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली की आबोहवा साफ करने के लिए व्यापक पैमाने पर कदम उठाए गए हैं
आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़ | MP Kartik Sharma raised the issue of Air pollution : देश का राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का मामला बार सदन में गूंजता है। मामले को लेकर सांसद कार्तिक शर्मा ने सवाल पूछा था क्या दिल्ली की आबोहवा सांस लेने लायक बची है? इसके अलावा पूछा था कि यहां बढ़ते प्रदूषण के कारण क्या हैं और इसको कम करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और क्या इसके बाद कुछ स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। जिसका लिखित जवाब 9 फरवरी को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने दिया व इसके अनुसार दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विपरीत मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
इसके पीछे मुख्य कारण औद्योगिक प्रदूषण, वाहनों का धुआं, निर्माण व विध्वंस गतिविधियां, सड़क व खुले क्षेत्र की धूल के अलावा पराली व बायोमास का जलाना व सेनेटरी लैंडफिल हैं। सरकार द्वारा औद्योगिक क्षेत्र व पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने व्यापक पैमाने पर कदम उठाए हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद साल 2016 की तुलना में 2021 में पार्टिकुलेट मैटर 10 में 27 फीसद व परटिकुलेट मेटर 2.5 में 22 फीसद तक कमी आई है। इसके अलावा देश भर में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली समेत मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले 132 शहरों और 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में कार्यान्वयन हेतु शहर विशिष्ट वायु कार्य योजनाएं शुरू की गई हैं।
एनसीपी के अंतर्गत दिल्ली सहित वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 (25 जनवरी 2023 तक) के दौरान शहरी कार्य योजना के अंतर्गत कार्रवाई शुरू करने के लिए 855.51 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया गया है। दिल्ली को इस योजना के तहत 33.75 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया गया है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
वाहन उत्सर्जन
- एनसीटी दिल्ली में 1 अप्रैल, 2018 से और देश के शेष हिस्सों में 1 अप्रैल, 2020 से बीएस- IV से बीएस-VI ईंधन मानक अपनाना।
- अप्रैल, 2020 से पूरे देश में बीएस-VI मानकों का अनुपालन करने वाले वाहनों की शुरुआत करना।
- ईंधन की खपत और प्रदूषण कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे और राजमार्गों का विकास।
- दिल्ली से गैर लक्षित ट्रैफिक मार्ग परिवर्तन के लिए पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेस- वे का प्रचालन शुरू किया गया है।
- दिल्ली एनसीआर में 2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले डीजल चालित वाहनों पर पर्यावरण सुरक्षा प्रभार (ईपीसी) लागू किया गया है।
- सीएनजी, एलपीजी, पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण जैसे स्वच्छतर/वैकल्पिक ईंधन की शुरुआत करना।
- सड़कों पर भीड़-भाड़ को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और सड़कों में सुधार करना व ज्यादा पुलों का निर्माण करना।
- जन परिवहन के लिए मेट्रो रेल के नेटवर्क में वृद्धि की गई है और अधिक शहरों को शामिल किया गया है।
- दिल्ली और समीपवर्ती क्षेत्रों में 10 वर्ष पुराने डीजल चालित और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर प्रतिबंध
- इलेक्ट्रिक वाहनों का त्वरित अंगीकरण और विनिर्माण (फेम)-2 स्कीम की शुरुआत की गई है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट आवश्यकता पर छूट दी गई है।
औद्योगिक उत्सर्जन
- एनसीआर में पेट कोक और फर्नेस ऑयल के उपयोग पर प्रतिबंध, सीमेंट संयंत्रों, चूना भठियाँ और कैल्शियम कार्बाइड निर्माण इकाइयों में प्रक्रियाओं में पेट कोक का उपयोग।
- कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) के लिए कड़े उत्सर्जन मानक जारी करना।
- दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों का पीएनजी/स्वच्छतम ईंधन अपनाना।
- अत्यधिक प्रदूषण उत्पन्न कर रहे उद्योगों में ऑनलाइन सतत निगरानी उपकरणों की संस्थापना।
- दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण में कमी करने के लिए ईंट भट्टों को मिश्रित प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करना।
धूलकण और कचरे को जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण
- ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट और खतरनाक अपशिष्ट को शामिल करते हुए 6 अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की अधिसूचना जारी की गई है।
- अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र जैसी अवसंरचनाओं की स्थापना करना।
- प्लास्टिक और ई-अपशिष्ट प्रबंधन हेतु विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) बायोमास/ कचरे के जलाने पर प्रतिबंध लगाना।
परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) जैसे कार्यक्रमों के तहत हस्तचालित स्टेशनों के साथ-साथ सतत निगरानी स्टेशनों का वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार कम लागत के मैसरों और उपग्रह आधारित निगरानी जैसे वैकल्पिक परिवेशी निगरानी प्रौद्योगिकियों का आकलन करने के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं की शुरुआत।
एनसीएपी के कार्यान्वयन की निगरानी
- सरकार ने भारत में शहर और क्षेत्रीय पैमाने पर वायु प्रदूषण के स्तरों को कम करने के लिए कार्यों की रूपरेखा तैयार करते हुए राष्ट्रीय स्तर की कार्यनीति के रूप में एनसीएपी को शुरू किया है। 132 एनएसी और एमपीसी में कार्यान्वयन के लिए शहर विशिष्ट वायु कार्य योजनाएं शुरू की गई हैं।
- इन शहरों की गतिविधियों में परिवेशी वायु गुणवत्ता नेटवर्क का सुदृढ़ीकरण, स्रोत संविभाजन अध्ययन, धूल अल्पीकरण उपकरण, कम्पोस्ट इकाईयां, मोटर रहित परिवहन हेतु आधारभूत सुविधाएँ, अव्यवस्थित क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर होना आदि शामिल है।
- एनसीएपी, प्रदूषण के बहु-क्षेत्रीय स्रोतों जैसे पॉवर प्लांट, उद्योगों, वाहनों, खुले में अपशिष्ट जलाने, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों, कार्यों और हस्तक्षेप के सम्मिलन हेतु अंतर मंत्रालयी समन्वय, और नालिज पार्टनर्स के रूप में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करता है।
- शहर विशिष्ट कार्य योजनाओं की नियमित रूप से समितियों द्वारा निगरानी की जाती है। केन्द्रीय स्तर पर; शीर्ष, संचालन समिति, निगरानी और कार्यान्वयन समितियां; राज्य में.संचालन, कार्यान्वयन समिति और शहरी स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी समिति।
- दिल्ली, कानपुर और लखनऊ के लिए वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का कार्यान्वयन। यह प्रणाली समय पर कार्रवाई करने के लिए चेतावनी जारी करती है।
- दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दों के संबंध में जन शिकायत समीर एप्प’, ‘ईमेल’ ([email protected]) और ‘सोशल मीडिया नेटवर्कस् (फेसबुक और ट्विटर) के माध्यम से की जाती है। एनसीएपी के कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए एक पोर्टल, प्राण की शुरुआत की गई है।
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