Mountaineer Narendra Yadav: नरेंद्र सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां फतह करने वाले सबसे कम उम्र के पुरुष पर्वतारोही

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Mountaineer Narendra Yadav: हरियाणा के रेवाड़ी निवासी नरेंद्र सिंह यादव सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां फतह करने वाले सबसे कम उम्र के पुरुष पर्वतारोही
Mountaineer Narendra Yadav: हरियाणा के रेवाड़ी निवासी नरेंद्र सिंह यादव सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां फतह करने वाले सबसे कम उम्र के पुरुष पर्वतारोही
  • नरेंद्र यादव का साहसिक सफर, भय पर विजय की कहानी
  • हरियाणा के रेवाड़ी निवासी हैं अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह

Rewari Resident Narendra Singh Yadav, (आज समाज), चंडीगढ़: हरियाणा के रेवाड़ी निवासी अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के पुरुष पर्वतारोही बन गए हैं। उन्होंने हाल ही में यह मुकाम हासिल किया है।

25 दिसंबर को विंसन मैसिफ पर तिरंगा फहराया

नरेंद्र ने 25 दिसंबर को अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विंसन मैसिफ पर भारतीय ध्वज फहराया। उस वक्त वहां का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस से भी कम था। नरेंद्र के नाम पर्वतारोहण की दुनिया के 22 विश्व रिकॉर्ड हैं। उन्होंने पत्रकार अक्षत मित्तल के साथ इस साक्षात्कार में खुलकर हर विषय पर बात की है। पढ़ें बातचीत के मुख्य अंश:

सवाल: पर्वतारोहण में आने के पीछे आपकी प्रेरणा कौन है?

जवाब : मेरी एक रिश्तेदार संतोष यादव से मुझे पर्वतारोहण करने की प्रेरणा मिली। संतोष दो बार एवरेस्ट फतह कर चुकी हैं। इसके अलावा मेरे पिता सेना में थे और सियाचिन में उनकी पोस्टिंग और उनके अनुभवों ने भी मुझे प्रेरित किया। मैंने तीन बार एवरेस्ट फतह करने का प्रयास किया। दुर्भाग्य से, 2014 और 2015 में मेरे पहले दो प्रयास दुर्घटनाओं और भूकंप के कारण विफल रहे। आखिरकार 2016 में मुझे सफलता मिली जिसके बाद, मैंने आगे बढ़ना जारी रखा और आखिरकार 7 महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखरों को फतह किया।

सवाल: 2016 में एवरेस्ट फतह को लेकर क्या विवाद हुआ था?

जवाब : 2016 में एवरेस्ट फतह करने बाद मैं कैंप 2 में पहुंचा और मैंने अपना स्लीपिंग बैग बचाव अभियान के लिए दे दिया और गीले मोजों में सो गया, जिसके कारण मुझे पैर में फ्रोजबाइट हो गया। मैं अस्पताल में भर्ती हुआ, सर्टिफिकेट भी मिला लेकिन मेरे टीम लीडर ने मेरे कैमरे का मेमोरी कार्ड अपने पास रख लिया, जिसमें महत्वपूर्ण तस्वीरें और वीडियो थे।

मैंने अदालत में इस फैसले के खिलाफ लड़ाई

2020 में, मुझे तेन्जिंग नॉरगे राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया लेकिन मेरे टीम लीडर ने फोटोशॉप करके उन तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया। नेपाल में मुझे 10 साल के लिए किसी भी तरह की एडवेंचर एक्टिविटी करने से बैन कर दिया गया लेकिन मैंने अदालत में इस फैसले के खिलाफ लड़ाई लड़ी और प्रतिबंध हटवाया। इसके बाद मैंने फिर से एवरेस्ट को फतह किया और बिना किसी अनुकूलन के केवल छह दिन में शिखर को पूरा करके विश्व रिकार्ड भी बनाया।

सवाल: महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखरों में सबसे चुनौतीपूर्ण कौन?

जवाब : व्यक्तिगत रूप से मुझे अलास्का स्थित डेनाली पीक पर चढ़ने में मजा आया। सच में, डेनाली एक ऐसी चोटी है जिस पर चढ़ते समय मुझे ऐसा लगा है कि मैं वास्तव में कठिन चढ़ाई कर रहा हूं।

सवाल : एडवेंचर ग्रैंड स्लैम पूरा करने की क्या योजना है?*

जवाब : असल में यही मेरी योजना है। मेरे अगले लक्ष्य पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को फतह करना ही है। मैं अभी ही भारत का सबसे युवा पुरुष पर्वतारोही बना हूं जिसने सातों महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखरों को फतह कर लिया है। अब अगली योजना की तैयारी है।

सवाल : तेन्जिंग नॉरगे पुरस्कार के लिए चुने जाने पर भी वह पुरस्कार न मिलने का अनुभव कैसा था?

जवाब : तेन्जिंग नॉरगे पुरस्कार मेरे लिए एक कड़वाहट भरा अनुभव था। मुझे अचानक बताया गया कि मेरा पुरस्कार रोक दिया गया है। यह समाचार मेरे लिए एक व्यक्तिगत त्रासदी था। मेरे पिता की किडनी फेल हो गईं थीं और मेरी मां सदमे में थी। सच कहूं तो, अब मैं उस पुरस्कार के बारे में नहीं सोचता। मेरी उपलब्धियां अब किसी पुरस्कार की मोहताज नहीं।

सवाल : केंद्र और हरियाणा सरकार से कैसा सहयोग मिला?

जवाब : मुझे हरियाणा और केंद्र सरकार दोनों से बहुत समर्थन मिला। इसके अलावा, मैं भाग्यशाली था कि मुझे बहुत अच्छे स्पॉन्सर्स भी मिले। इनमें स्पार्क मिंडा, एम2के, आईपीएल बायोलॉजिकल, होंडा 2 व्हीलर्स और मिंडा इंडस्ट्रीज शामिल हैं। उनका समर्थन अमूल्य रहा है।

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