सफलता के सफर में मां की बीमारी बनीं रोड़ा फिर भी नहीं रुके कदम, बने जज

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Mother's illness became an obstacle in the journey of success yet became a judge

संजीव कौशिक, रोहतक:

  • परीक्षा से दो दिन पहले मां को ब्रेन स्ट्रोक आना हिमांशु के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा

सफलता के सफर में मां की बीमारी को हिमांशु ने अपने सपनों की उड़ान में रोड़ा नहीं बनने दिया। प्रारंभिक परीक्षा से दो दिन पहले मां को ब्रेन स्ट्रोक आना हिमांशु के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस कठिन समय में भी उन्होंने अपने सपनों व मां का साथ नहीं छोड़ा। मां का ख्याल रखने के साथ परीक्षा की तैयारी कर हिमांशु ने हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में दसवीं रैंक हासिल की।

हिमांशु न्यायिक कार्यभार संभालेंगे

रोहतक के रहने वाले हिमांशु सिविल जज जूनियर डिविजन कम ज्युडीशिल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास के पद चयनित होकर न्यायिक कार्यभार संभालेंगे। पहले प्रयास में ही उन्होंने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। अपने परिवार में कानून की पढ़ाई व हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा देने वाले वह पहले सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि दिन में घर के कामों के साथ मां की सेहत का ख्याल रखा व रात को परीक्षा की तैयारी की। हिमांशु जांगड़ा के पिता नरेश जांगड़ा एक निजी कंपनी में नौकरी करते है।

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