माँ कालका धाम के नाम पर ही पड़ा स्थान का नाम Mother Is In The Name Of Kalka Dham

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Mother Is In The Name Of Kalka Dham
Mother Is In The Name Of Kalka Dham

आज समाज डिजिटल, अम्बाला :
Mother Is In The Name Of Kalka Dham :
माँ कालका का मंदिर हरियाणा के अंतिम और हिमाचल के प्रवेश द्वार पर बसा हुआ है जो कि आकर्षण का केंद्र है। मान्यता है कि दर्शन एवं पूजन करने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता है] माता के जिस मंदिर में कभी पांडवों ने विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था। मान्यता है कि युद्ध समाप्त होने पर उन्होंने पांचों पांडवों ने देवी के इस धाम पर आकर भगवती की आराधना की। मान्यता है कि माता के दर्शन करने वाला कोई व्यक्ति यहां से खाली हाथ नहीं जाता है. माता सभी की मुरादें जरूर पूरी करती हैं।

Mother Is In The Name Of Kalka Dham
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दिल्ली में स्थित मां कालका जी का मंदिर

इसी प्रकार देश की राजधानी दिल्ली में स्थित मां कालका जी का पावन धाम, जहां प्रतिदिन शक्ति के साधकों का तांता लगा रहता है। महाभारत काल में माता के इसी सिद्धपीठ में कभी पांडवों ने आद्याशक्ति मां काली की पूजा की थी और युद्ध में विजयी होने का वर प्राप्त किया था।

कभी गाय आकर माता की पिंडी को कराती थी स्नान

मान्यता यह भी है कि पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां पर गाय आदि जानवर चरने के लिए आया करते थे. लेकिन एक गाय आश्चर्यजनक रूप से एक विशेष स्थान यानी माता की पिंडी के ऊपर आकर दूध से स्नान कराया करती थी. जब लोगों को पता चला तो लोगों ने इस सिद्धपीठ की पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी.

मंदिर में कुल बारह द्वार हैं

 Mother Is In The Name Of Kalka Dham

माता के इस मंदिर में कुल बारह द्वार हैं जो द्वादश आदित्यों और बारह महीनों का संकेत देते हैं, बाहर परिक्रमा में छत्तीस द्वार हैं, जो मातृकाताओं के द्योतक हैं. हर द्वार के सम्मुख तीन द्वार मां भगवती के त्रिगुणात्मक स्वरूप सत्व, रज, तम का भी परिचय देते हैं।

मंदिर के द्वार के सामने दो सिंह प्रतिमाएं स्थापित हैं. आगे यज्ञशाला बनी है, जहां शक्ति के साधक यज्ञ करते हैं। भवन के भीतरी हिस्से में बने भित्ति चित्र काफी आकर्षक हैं जिनको देखकर मंदिर की भव्यता का अनुमान सहज ही होता है।

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सूर्यग्रहण के समय भी खुला रहता है मंदिर Mother Is In The Name Of Kalka Dham

सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर के सभी कपाट उनके भक्तों के दर्शनों के लिए खुले रहते हैं.सूर्यकूट पर्वत पर विराजमान इस मंदिर के कपाट ग्रहण के दौरान भी बंद नहीं किए जाते हैं। मान्यता है कि कालका देवी कालचक्र स्वामिनी हैं और संपूर्ण ग्रह नक्षत्र इन्हीं से शक्ति पाकर गतिमान होते हैं। ऐसे में ग्रहण के समय इस मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित है। रात्रि के समय मां कालिका के लिए भक्त सुंदर शैया को सजाकर मंदिर में रखते हैं।

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