कार्तिक मास के प्रथम पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है करवा चौथ का त्योंहार
रामायण में भी है करवा चौथ के व्रत का उल्लेख
Karwa Chauth Special (आज समाज) अंबाला: हर साल कार्तिक मास के प्रथम पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योंहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती है। शाम के समय चंद्रमा उदय के बाद महिलाएं पूजा कर अपने पति के हाथ से पानी की घूंट पीकर व्रत को खोलती है। करवा चौथ के व्रत का भारतीय इतिहास में विशेष महत्व है। करवा चौथ के व्रत को अनादि काल से महिलाएं रखती आ रही है। हमारे ग्रंथों में भी करवा चौथ के व्रत का वर्णन मिलता है।
इस पंरपरा का आज भी भारतीय महिलाएं वैसे ही पालन कर रही है जैसे अनादि काल में किया जाता था। सुहागिन महिलाओं के जीवन का सबसे बड़ा त्योंहार ही करवा चौथ का व्रत होता है। हमारे शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सबसे पहले इस व्रत को व्रत माता गौरी ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। तभी से इस व्रत को मनाने की पंरपरा चली आ रही है। जिसे भारतीय नारी आज भी जारी रखे हुए है।
करवा चौथ का संबंध रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है और माता सीता ने भगवान श्री राम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। उन्होंने कहा कि जब लंकापति रावण के द्वारा मां सीता का हरण किया गया था। तब उन्होंने अशोक वाटिका में रहते हुए ही भगवान श्री राम के लिए कई माह तक करवा चौथ का व्रत रखा था। एक अन्य कथा के अनुसार यह भी मान्यता है कि भगवान श्री राम के कहने पर ही माता सीता ने करवा चौथ का व्रत किया था।
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