5 मरीजों की हो चुकी डेंगू से मौत
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों दागों के बावजूद भी हरियाणा में डेंगू के नए मामले नियंत्रित नहीं हो पा रहे हैं और डेंगू की रोकथाम के लिए कोई अतिरिक्त कदम नहीं उठाया तो प्रदेश में भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। इसी कड़ी में सामने आया है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक-दूसरे को आदेश देने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में यह भी बता दें कि जिस तरह से प्रदेश में डेंगू के मामले बड़े हैं उनकी तुलना में फॉगिंग कम की जा रही है।
प्रदेश के पंचकूला जिले में कुल मामलों में से अब तक करीबन एक तिहाई रिपोर्ट हुए हैं जो स्थिति की भयावहता को दशार्ता है। इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाले कई जिलों में डेंगू के केस लगातार रिपोर्ट हो रहे हैं जिसके चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है। हिसार व पंचकूला डेंगू का हॉट स्पॉट सेंटर बन गए हैं।। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हिसार, पंचकूला, गुरुग्राम, पानीपत करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत व कुरुक्षेत्र जिले हैं। प्रदेश में अब तक डेंगू के 5600 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हो चुके हैं।
पंचकूला में सबसे अधिक डेंगू के केस आए सामने
पंचकूला, हिसार और कर्नल समेत करीब आधा दर्जन मामलों में स्थिति चिंताजनक
अब तक के विभागीय आंकड़ों के अनुसार पंचकूला और हिसार समेत प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जहां पर निरंतर डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। अब तक पंचकूला में अब तक 1300, हिसार में 517, करनाल में 479, सोनीपत में 449, रेवाड़ी में 369, पानीपत में 291 और कुरुक्षेत्र में 260 मामले रिपोर्ट हुए हैं।
हर साल औसतन 5 लोगों की मौत
हरियाणा में बीमारी से इस साल अब तक 5 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि ज्यादा लोगों की मौत बीमारी से हुई है लेकिन विभाग द्वारा कुछ मौत को संदिग्ध मौत की कैटेगरी में रखा है। वहीं ये भी बता दें कि हरियाणा में पिछले साल 2022 में बीमारी से सबसे ज्यादा 18 लोगों की मौत हुई थी वहीं 2015 में बीमारी ने 13 लोगों की जान ले ली। 2016 से लेकर साल 2020 तक 5 साल की अवधि में बीमारी से कोई मौत नहीं हुई है। साल 2015 से लेकर 2023 तक 9 साल की अवधि में कुल 44 लोगों की मौत हई है। इस लिहाज से हर साल औसतन 5 से ज्यादा लोगों की मौत बीमारी के चलते हई है।
राज्य में डेंगू जांच की 27 लैब
राज्य में कुल 27 डेंगू जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, जिनमें से प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अनुशंसित डेंगू जांच (एलिसा आधारित एनएस1/आईजीएम) के लिए अधिकतम 600 रुपये शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों के लिए नि:शुल्क सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में, राज्य में कुल 7 प्लेटलेट एफेरेसिस सुविधाएं कार्यरत हैं (सिविल अस्पताल पंचकूला, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद, पीजीआईएमएस रोहतक, केसीजीएमसी करनाल और बीपीएसजीएमसी खानपुर कलां, सोनीपत)।
इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों को निजी ब्लड बैंकों से नि:शुल्क एसडीपी प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है, जिसका खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। राज्य के निजी अस्पतालों में कुल 72 एफेरेसिस मशीनें कार्यरत हैं। डेंगू मरीजों के लिए सिविल अस्पतालों में 196 वार्ड और 1022 बिस्तर आरक्षित रखे गए हैं।