आज समाज डिजिटल, Morbi Bridge Collapse News : गुजरात के मोरबी में हैंगिंग पुल टूटने से 143 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा बढ़ सकता है। अभी भी कई सारे लोग लापता हैं और नदी में होने की आशंका है।
बहराल हादसा बहुत ही दुखद है और एनडीआरएफ समेत प्रशासन की कई टीमें रेस्क्यू अभियान में जुटी है। बताया गया है कि 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं वहीं मृतकों में 30 बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ। हादसे के बाद कई सारी लापरवाहियां भी सामने आई है।
ओरेवा ग्रुप के पास थी मरम्मत की जिम्मेवारी
जानकारी के मुताबिक ये केबल ब्रिज मरम्मत कार्य के चलते पिछले 6 महीने से बंद पड़ा था। 5 दिन पहले दिवाली से अगले दिन यानि 26 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। पुल की मरम्मत का काम अजंता मैनुफैक्चरिंग (Oreva Group) को मिला था। ये कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब, ई-बाइक बनाती है। लेकिन सिर्फ ओरेवा ग्रुप ही इस हादसे का जिम्मेदार नहीं है। कई सारी लापरवाहियों में ये बात भी सामने आई है कि अजंता मैनुफैक्चरिंग ने मरम्मत का ठेका किसी दूसरी कंपनी को दे दिया था।
15 साल से कर रही रखरखाव
ओरेवा (Oreva Group) वही कंपनी है जिसकी अजन्ता ब्रांड घड़ियां आज लगभग सभी घरों में दिखती है। कंपनी दीवार घड़ियों से लेकर ई-बाइक्स और इलेक्ट्रिकल बल्व तक का निर्माण करती है। हादसे के बाद कंपनी लोगों के निशाने पर आ गई है। ओरेवा ग्रुप को कंपनी के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी 15 वर्षों के लिए दी गई थी। इसी वर्ष मार्च में ब्रिज के पुनरुद्धार के लिए इसे बंद कर दिया गया था।
क्या ज्यादा पैसों के लालच में बेच दी इतनी सारी टिकटें
Morbi Bridge Collapse Tragedy में यह भी बात सामने आई है कि पुल की सैर के लिए कंपनी लोगों से 17 रुपये प्रति व्यक्ति का शुल्क भी वसूल रही थी। यह पुल एक बार में अधिकतम 100 लोगों की क्षमता ही झेल पाता था। तो बड़ा सवाल उठता है कि आखिर 30 अक्टूबर की शाम को लगभग 300 से 400 लोग कैसे पुल पर चढ़ गए? क्या ज्यादा पैसों के लालच में ज्यादा टिकटें बेच दी। फिलहाल इस बात की जांच भी हो रही है।
क्या आनन फानन में शुरू किया संचालन
मोरबी हैंगिग पुल पिछले 6 महीने से बंद था। इसकी मरम्मत जारी थी। मरम्मत पर 2 करोड़ रुपए खर्चे गए। 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन होने के बाद 26 अक्टूबर को यह दोबारा खुला था। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि नगर पालिका के इंजीनियर्स के निरीक्षण और फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना इस पुल को अचानक क्यों खोल दिया गया। इसकी जांच भी होनी चाहिए, क्योंकि कांग्रेस का आरोप है कि अगले एक-दो दिनों में गुजरात में विधानसभा चुनावों की घोषणा होनी है, इसलिए इस पुल को जल्दबाजी में खोला गया। यह जांच का विषय है।
ओरेवा को ही क्यों दिया कांट्रेक्ट (Morbi Bridge Collapse)
मोरबी का ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था। 143 साल पुराने इस पुल के मरम्मत की जिम्मेदारी नगर पालिका ने अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज (Oreva Group) को सौंपी थी। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है। ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।
इस पर नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है? इस पर भी सवाल खड़े हो गए हैं कि पुल की जिम्मेवारी पूरी तरह से ओरेवा को ही क्यों सौंपी गई?
1879 में बना मोरबी पुल इंजीनियरिंग का चमत्कार
143 साल पुराने इस पुल को मोरबी के राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था। यह पुल इंजीनियरिंग का जीता जागता चमत्कार था। इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था। ये पुल 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा था और 143 साल पुराना था। राजा वाघजी रावजी इस पुल से होकर ही अपने राज दरबार से राजमहल की ओर जाते थे। उन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था। जब उनकी राजशाही खत्म हो गई तो उन्होंने मोरबी नगर पालिका को सौंप दी थी।
ऐतिहासिक धरोहर रहा है मोरबी पुल
Morbi Cable Bridge के नाम से मशहूर यह पुल पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है। यह पुल सिर्फ मोरबी ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इसका उद्घाटन 20 फरवरी 1879 में किया गया था। उस समय पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। लकड़ी और केबल से इसका निर्माण किया गया था।
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