Haryana Weather News: हरियाणा में 3 दिन बाद फिर से एक्टिव होगा मानसून

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हरियाणा में 3 दिन बाद फिर से एक्टिव होगा मानसून
हरियाणा में 3 दिन बाद फिर से एक्टिव होगा मानसून

आज यमुनानगर में हैवी रेन का अलर्ट
Haryana News Chandigarh (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में शनिवार से मानसून फिर कमजोर पड़ गया है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 7 अगस्त से प्रदेश में मानसून फिर सक्रिय होगा। इस बार मानसून प्रदेश से रूठा रहा, यही कारण है कि 1 जून से अब तक मात्र 165.0 एमएम बारिश ही दर्ज की गई। जबकि सामान्य तौर पर प्रदेश में 217.0 एमएल बारिश होनी चाहिए थी। मौसम विभाग ने आज यानी रविवार को प्रदेश के कुछ जिलों में बूंदाबांदी की संभावना जताई है। सूबे के 22 जिलों में से यमुनानगर में हैवी रेन का यलो अलर्ट जारी किया गया है। 24 घंटे में अंबाला में सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई, यहां 26.8 एमएम बारिश हुई। हरियाणा में मानसून के कमजोर पड़ने के कारण मौसम विभाग ने 6 अगस्त तक कोई अलर्ट जारी नहीं किया है। हालांकि इसके बाद 11 जिलों में बादल छाए रहे, अंबाला के अलावा अन्य 10 जिलों में हल्की से मध्यम बारिश रिकॉर्ड की गई। अंबाला में 26.8 एमएम बारिश हुई। इसके अलावा गुरुग्राम और जींद में 7.0 एमएम, फरीदाबाद और सिरसा में 1.0 एमएम, रोहतक में 1.8, पंचकूला में 1.5 और सोनीपत में 0.5 एमएम बारिश हुई।

6 से 9 अगस्त को बन रहे बारिश के आसार

पंजाब के ऊपर एक और साइक्लोनिक सकुर्लेशन बनने से बंगाल की खाड़ी की ओर से मानसूनी सक्रियता बढ़ने की संभावना है। जिसके प्रभाव से छह से नौ अगस्त के बीच भी हरियाणा के कई क्षेत्रों में बारिश की संभावना बन रही है। कुछ स्थानों पर तेज बारिश भी हो सकती है। जिससे तापमान में गिरावट आ सकती है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि मानसून की अक्षय रेखा उत्तर दिशा की ओर सामान्य स्थिति में रहने के कारण 4 से 6 अगस्त के बीच कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

5 सालों में जुलाई में सबसे कम बारिश

हरियाणा में इस बार जुलाई में 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकडों को देखे तो 2018 में549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।