Monsoon Update: देश में इस बार मानसून के सामान्य रहने के आसार हैं। इसी के साथ अल-नीनो की स्थिति बनेगी लेकिन यह भी ताकतवर नहीं होगा बल्कि यह मॉडरेट रहेगा, इसलिए इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को मानसून को लेकर एक नया अपडेट जारी किया। आईएमडी के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय महापात्र ने कहा, मानसून के दौरान इस बार भी अल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना है, लेकिन इसके बावजूद इसका असर ज्यादा नहीं पड़ेगा। बल्कि मानसून के सामान्य मानसून रहने की उम्मीद है। महापात्र ने बताया कि अल नीनो का प्रभाव दूसरी छमाही में महसूस किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी अल-नीनो साल खराब मानसून साल नहीं होते हैं, बीते 40 फीसदी अल-नीनो साल सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश वाले रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून से सितंबर तक) में सामान्य बारिश देखने को मिलेगी। मानसून इस बार 96 फीसदी (5 फीसदी की त्रुटि मार्जिन के साथ) रहेगा और देश में 87 सेमी की लंबी अवधि की बारिश होगी। आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य वर्षा देखने को मिलेगी।
प्रायद्वीपीय क्षेत्र के कई हिस्सों यानी पूर्वी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश की संभावना जताई गई है। दूसरी ओर, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। इसी सोमवार को प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने भी देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान लगाया था। इसकी ओर से कहा गया था कि देश के नॉर्दन और सेंट्रल रीजन में कम बारिश होने की सबसे ज्यादा संभावना है। आईएमडी ने बताया कि मई के अंतिम सप्ताह में मानसून का अगला अपडेट आएगा।
मौसम विभाग के अनुसार यदि बारिश सामान्य रहती है तो देश में फूड ग्रेन प्रोडक्शन भी नॉर्मल ही रहने का अनुमान है। यानी इससे महंगाई से राहत मिल सकती है। देश में किसान आमतौर पर एक जून से गर्मियों की फसलों की बुवाई शुरू करते हैं। यह वह समय होता है जब मानसून की बारिश भारत पहुंचती है। फसल की बुवाई अगस्त की शुरूआत तक जारी रहती है।
ला नीना में समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। ला नीना से दुनिया भर के मौसम में असर पड़ता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इससे आसमान में बादल छा जाते हैं और बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करती है। ला नीना की वजह से भारत में ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है।
अल नीनो में भी ला नीना की तरह दुनिया भर के मौसम पर असर पड़ता है। इसमें समुद्र का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है। इसका प्रभाव 10 साल में दो बार होता है। इसके प्रभाव से ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र में कम और कम बारिश वाले क्षेत्र में ज्यादा बारिश होती है। भारत में अल नीनो के कारण मानसून अक्सर कमजोर होता है, जिससे सूखे की स्थिति बनती है।
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