Monsoon mood swing: मानसून के दिनों में हल्की बूंदा बांदी का आनंद लेने के लिए लोग अक्सर घरों से बाहर नज़र आते हैं। बारिश के मौसम में हल्की फुहारें जहां तन को ठंडक पहुंचाती है, तो वहीं मन की उदासी का कारण भी बनने लगती है। आलस्य को बढ़ाने वाले इस मौसम के चलते लोगों को मानसिक तौर पर कइ प्रकार के बदलावों का सामना करना पड़ता है। इसका अस्र उनकी वर्क प्रोडक्टीविटी और ओवरऑल हेल्थ पर भी नज़र आने लगता है। जानते हैं मानसून मूड स्विंग के कारण और उससे डील करने के उपाय भी।
क्या है मानसून और मूड स्विंग का कनेक्शन
बारिश के दिनों में सन एक्सपोज़र की कमी के चलते शरीर में विटामिन डी की मात्रा घट जाती है। इसके चलते शरीर में मूड बूस्टर न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होने लगताहै, जिसका प्रभाव इटिंग हेबिट्स, नींद और डाइजेशन पर भी नज़र आने लगता है। इसके चलते न केवल फोकस की कमी को सामना करना पड़ता है बल्कि गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है।
1. मौसम में बदलाव
बायोमेड सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार क्लाइमेट चेंजिज़ का मूड पर गहर प्रभाव देखने का मिलता है। इससे अधिकतर लेगों को एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा ओवरथिंकिंग की समस्या भी बनी रहती है।
2. फिज़िकली एक्टिव न रह पाना
बारिश के दिनों में आउटडोर वर्कआउट की कमी से शरीर को स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। तनाव के चलते शरीर में कार्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे नींद न आने की समस्या और मोटापा बढ़ जाता है। इसके चलते मानसून में मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है।
3. सन एक्सपोजर की कमी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सन लाइट मिलने से शरीर में हार्मोन रेगुलेट होने लगते हैं। सन एक्सपोजर की मदद से सेराटोनिन हार्मोन मेलाटोनिन में कनवर्ट होने लगता है, जिससे नींद न आने की समस्या हल हो जाती है। मगर बारिश के दिनो में शरीर को धूप न मिलने से विटामिन डी की कमी हार्मोन असंतुलन का सामना बनने लगती है।