Mohan Bhagwat: लोकसभा चुनाव में विकास, एकता व अखंडता पर फोकस कर वोट दे देश की जनता

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Mohan Bhagwat
नागपुर में विजयदशमी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत।

Aaj Samaj (आज समाज), Mohan Bhagwat, मुंबई: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देशवासियों से आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान सोच समझकर मतदान करने की अपील की है। उन्होंने जनता से एकता, अखंडता, अस्मिता और देश के विकास को ध्यान में रखकर मतदान करने की अपील की। भागवत ने मंगलवार को नागपुर में विजयदशमी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने देश में फैल रहे अविश्वास व नफरत पर अपने विचार व्यक्त किए। जी20 पर भी बात की।

  • जी20 की सफलता पर केंद्र सरकार को सराहा

नफरत और अविश्वास बढ़ा रही ताकतों से सावधान रहें देशवासी

आरएसएस प्रमुख ने कहा, आज टूलकिट्स का इस्तेमाल कर हिंसा, नफरत और अविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसलिए देश के लोग ऐसी ताकतों से सावधान रहें। उन्होंने कहा, तीन तत्व मातृभूमि के प्रति समर्पण, अपने पूर्वजों के प्रति गर्व और साझा संस्कृति, हमें भाषा, धर्म, वर्ग, जाति आदि की विविधता के बावजूद एक देश बनाते हैं। केंद्र सरकार के सफल जी20 आयोजन पर संघ प्रमुख ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत को एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित किया गया है।

मणिपुर हिंसा के लिए बाहरी ताकतों को जिम्मेदार

भागवत ने कहा कि दुनिया कट्टरवाद, अराजकता और धार्मिक अलगाववाद का सामना कर रही है। भागवत ने मणिपुर हिंसा के लिए बाहरी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि राज्य में साजिश रच कर पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया है। हिंसा पर सवालिया निशान लगाते हुए संघ प्रमुख ने कहा, मणिपुर में मैतेई और कुकी समाज के लोग पिछले काफी वक्त से एक साथ रह रहे हैं। अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों समुदायों के बीच आग लग गई। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे अलगाववाद और आंतरिक संघर्ष से किसे लाभ होता है? क्या मणिपुर में जो कुछ हुआ उसमें बाहर के लोग भी शामिल थे?

दुनिया में मजबूत नेतृत्व की जरूरत

भागवत ने कहा कि दुनिया धार्मिक संप्रदायवाद से पैदा हुए कट्टरता, अहंकार और उन्माद के संकट का सामना कर रही है। यूक्रेन या गाजा पट्टी में युद्ध जैसे संघर्षों का कोई भी समाधान नहीं निकल रहा है। इससे आतंकवाद, शोषण और अधिनायकवाद को कहर बरपाने की खुली छूट मिल रही है। इससे यह साफ हो गया है कि विश्व बिना किसी मजूबत नेतृत्व के इन समस्याओं का मुकाबला नहीं कर सकता।

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