विदेश नीति में नेतृत्व का भी बहुत महत्व होता है। नेतृत्व के आधार पर भी विदेश नीति का प्रभाव निर्धारित होता है। देश वहीं रहता है, लेकिन नेतृत्व बदलते ही अंतरराष्ट्रीय जगत में उंसकी भूमिका में बदलाव आ जाता है। मनमोहन सिंह के समय भारतीय विदेश नीति का प्रभाव अलग था। उनका नेतृत्व हाईकमान की कृपा पर आधारित था। उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति के हाथ पर हाथ मारने या ह्यूस्टन जैसे भाषण की उम्मीद करना भी बेमानी था। ऐसा नहीं कि यह सब निरर्थक होता है। ये साधारण दिखने वाली बातें भी विदेश नीति को प्रभावित करने वाली होती है। नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मंच साझा किया। यह रणनीतिक साझेदारी की अद्भुत अभिव्यक्ति थी। इसका तत्कालिक प्रभाव अमेरिकी राष्ट्रपति और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की मुलाकात पर होना था। नरेंद्र मोदी ने इतनी बड़ी लाइन खींच दी है, जिसकी बराबरी करना मुश्किल है। नरेंद्र मोदी का ह्यूस्टन संबोद्धन भारत की गरिमा के अनुरूप था। उन्होंने जहां प्राचीन गौरव को रेखांकित किया, वहीं वर्तमान तेवर को भी विश्व से अवगत कराया। कहा कि भारत समस्याओं के पूर्ण समाधान पर ध्यान दे रहा है। असंभव चीजों को संभव करके दिखा रहा है। भारत ने पांच ट्रिलियन इकॉनमी के लिए कमर कसी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय डायस्पोरा से संवाद के तरीके बदल दिए हैं।
इसमें डोनाल्ड ट्रंप भी सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद पर भारत और अमेरिका की साझा समस्या को उठाया। अमेरिका ने नाइन इलेवन और भारत ने छब्बीस ग्यारह का आतंकी हमला झेला है। गौरतलब यह कि ट्रम्प और इमरान खान की मुलाकात मोदी के इस कथन के बाद होगी। इसमें अमेरिका और भारत पर हुए आतंकी हमले की छाया रहेगी। मोदी ने सही कहा कि इन आतंकी हमलों के साजिशकर्ता कौन है, यह सभी लोग जानते है। मोदी का इशारा सीधे पाकिस्तान की तरफ था। इस बात ने इमरान का नैतिक बल ही मिटा दिया था। पाकिस्तान का साथ देने वाले चीन जैसे देश भी कठघरे में है। मोदी ने कहा भी कि अब समय आ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए। उन्होंने यहां से पाकिस्तान पर सीधा निशाना लगाया। उनका इशारा भारतीय अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को हटाने की तरफ था। कहा कि भारत अपने यहां जो कर रहा है, उससे कुछ ऐसे लोगों को भी दिक्कत हो रही है। जिनसे खुद अपना देश नहीं संभल रहा है। इन लोगों ने भारत के प्रति नफरत को ही अपनी राजनीतिक का केंद्र बना लिया है। ये वो लोग हैं जो अशांति चाहते हैं, आतंक के समर्थक हैं, आतंक को पालते पोसते हैं। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों को विकास से और समान अधिकारों से वंचित रखा था। इस स्थिति का लाभ आतंकवाद और अलगाववाद बढ़ाने वाली ताकतें उठा रही थी। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों को अधिकार दिलाया गया।
मोदी सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से रोके हैं। पहले कंपनी रजिस्टर करने में दो तीन हफ्ते लग जाते थे, अब चौबीस घंटे में ही रजिस्ट्रेशन हो जाता है। पहले टैक्स रिफंड आने में महीनों लग जाते थे। इस बार इकतीस अगस्त को एक दिन में करीब पचास लाख लोगों ने अपना आईटीआई आॅनलाइन भरा है। भारत में वन जीबी डेटा की कीमत एक डॉलर का चौथाई हिस्सा है। एक जीबी डेटा की विश्व में औसत कीमत तीस गुना तक ज्यादा है। सस्ता डेटा भारत में डिजिटल इंडिया की मजबूती की पहचान बन रहा है। आमजन की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी की जा रही है। इज आॅफ डुइंग बिजनस और इज आॅफ लिव का भी है। हाउडी का अर्थ है क्या हाल है। मोदी ने कहा कि भारत में सब अच्छा है। दोनों देश अंतरिक्ष और रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं। संयुक्त सैन्य अभ्यास किये जा रहे है। ट्रंप को भी कहना पड़ा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं भारत के हित के लिए अब तक का सबसे अच्छा मित्र वाइट हाउस में हैं। हमारे दोनों देशो के रिश्ते लोकतंत्र की बुनियाद पर खड़े हैं, कानून के हिसाब से दोनों देशों में शासन चलता है। भारत अमेरिका में अभूतपूर्व तरीके से निवेश कर रहा है, हम भी भारत में ऐसा ही कर रहे हैं। जाहिर है कि मोदी का ह्युंस्टन भाषण ऐतिहासिक था। अमेरिकी राष्ट्रपति पहली बार किसी विदेशी शासक के साथ ऐसी सभा मे शामिल हुए। अमेरिका के इतने अधिक सीनेटर व गवर्नर भी किसी विदेशी अतिथि के सम्मान में पहले कभी शामिल नहीं हुए थे।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री