Aaj Samaj (आज समाज), Modi Govt Announcement, नई दिल्ली: केेंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व उपप्रधानमंत्री व बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि एलके आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं और भारत के विकास में उनका अहम योगदान है।
विकास में आडवाणी जी का योगदान अविस्मरणीय
प्रधानमंत्री ने कहा, आडवाणी जी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं और भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। पीएम ने कहा, आडवाणी जी ने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।
आडवाणी ने राममंदिर आंदोलन से बदली देश की सियासत
पीएम ने कहा, बताया जाता है कि राममंदिर आंदोलन से लालकृष्ण आडवाणी ने देश की सियासत बदल दी थी। भाजपा के दिग्गज नेता आडवाणी ने 1990 में राममंदिर आंदोलन की शुरूआत की थी। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा की थी। उनकी रथयात्रा ने देश की राजनीति बदलकर रख दी थी। 1992 का अयोध्या राममंदिर आंदोलन उनके नेतृत्व में हुआ।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था जन्म
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई कराची में हुई। ऐसा दावा किया जाता है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने सिंध कॉलेज से पढ़ाई की। बाद में उनका परिवार मुंबई आ गया। आडवाणी जब 14 साल के थे तब वो संघ से जुड़ गए। 1951 में वह जनसंघ से जुड़े। उसके बाद 1977 में जनता पार्टी का साथ निभाया। 1980 में बीजेपी का उदय हुआ और इसके साथ ही भारत की राजनीति में अटल आडवाणी युग की शुरुआत हुई। अटल-आडवाणी की जोड़ी ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी।
सियासी सफर
आडवाणी 1977 में सूचना प्रसारण मंत्री बने तो 2002 में वह उप-प्रधानमंत्री. 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार उनके लिए बड़ा झटका साबित हुई। उसके बाद बीजेपी में नई पीढ़ी के आगमन के लिए उन्होंने रास्ता छोड़ दिया। इसके बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हो गई। कहा जाता है कि भाजपा आज जिस मजबूत स्थिति में है, उसकी नींव रखने वालों में आडवाणी का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लिया जाता है।
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