इशिका ठाकुर,करनाल:
करनाल के दिगंबर जैन सभा में बीते 57 दिनों से मोदथ मुनि महाराज व मुकेश मुनि महाराज पूरे विश्व की सुख-शांति के लिए तपस्या कर रहे है। मोदथ मुनि एक समय ही कुछ भोजन लेते है। जैन समाज के लोग इसे अपना परम सौभाग्य मान रहे है।
रमेश मुनि महाराज साहब के परम सुशिष्ठ मुकेश मुनि महाराज और युवा तपस्वी मोदथ मुनि महाराज का 57 दिन से तपस्या कर रहे है, ताकि संसार में यह संदेश जाए कि मानव शरीर परमात्मा ने इस प्रकार से दिया है कि हम तप और तपस्या द्वारा अपनी आत्मा का, अपने जीवन का और संसार का कल्याण कर सकते है। मुनि जी ने बताया कि वे विश्व कल्याण के लिए तपस्या कर रहे है। गुरूओं की कृपा और आशीर्वाद से मेरा तप सफल हो रहा है। आज तपस्या का 57वां दिन हो चुका है तथा कुछ दिन ओर यह तपस्या चलेगी। विश्व में सभी जीव सुखी रहे और निरोगी रहे।
तप का अर्थ
मुनि महाराज ने बताया कि आदि युग में भगवान ऋषव देव से लेकर भगवान महावीर तक यह व्रतनांतक व्रत का क्रम चल रहा है और जीर्णउपासक और साधक साधिकाएं अपनी शक्ति अनुसार तप कर रहे है और करते रहेंगे। इसी क्रम में उत्तर भारतीय प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव सुभद्र मुनि महाराज के आशीर्वाद से, मुनि मायाराम परंपरा के उज्जवल नक्षत्र एवं ओजस्वी वक्ता परमपूज्य गुरूदेव रमेश मुनि जी महाराज के आशीर्वाद से युवा तपस्वी श्री मोदिथ मुनि जी महाराज चातुरमास के प्रारंभ से ही अपनी मंगलमय व तप साधना कर रहे है। उनकी साधना आईंगिल तप साधना है। यह एक विशेष तप है, जिसमें निरस भोजन किया जाता है, जिसमें कोई नमक, मीठा या चिकनाई नहीं होती जैसे इसके नियम है। इसमें रूखा भोजन किया जाता है। यह गुरूदेव की कृपा से चल रहा है। तप का अर्थ होता है इच्छा निरोध: तप: यानी इच्छाओं पर निगह करना और अपनी इच्छाओं को घटना। यही तप का वास्तविक स्वरूप है। भगवान महावीर ने कहा है तप करने से करोड़ों भवों के संचित कर्म होते है वह जलकर राख हो जाती है। आत्मा शुद्ध, पवित्र और पावन अवस्था को प्राप्त कर लेती है। मुनि का जीवन ही जन कल्याण और परोपकार के लिए होता है।
करनाल के दिगंबर जैन सभा में पिछले कई 57दिनों मोदथ मुनि कर रहे हैं तपस्य है पुरे विश्व की सुख शांति के लिए मोदथ मुनि तपस्या कर रहे हैं और पिछले 57 दिन से वह तपस्या कर रहे हैं एक समय ही कुछ ही भोजन लेते हैं
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