MNREGA Labor Union : देश भर के मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, सौपा ज्ञापन

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देश भर के मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, सौपा ज्ञापन
देश भर के मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, सौपा ज्ञापन

Aaj Samaj (आज समाज),MNREGA Labor Union,करनाल, 4सितम्बर, इशिका ठाकुर : करनाल में सोमवार को मनरेगा मजदूर यूनियन के बैनर तले हरियाणा के मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों व समस्याओं का समाधान करवाने के लिए स्थानीय तलवार चौक से मुख्यमंत्री आवास तक जोरदार प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम मनरेगा मजदूरों के मांग मुद्दों को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन का नेतृत्व राज्य प्रधान कार्यालय नरेश कुमार, महासचिव का सोमनाथ, उप-प्रधान का फकीर चंद, प्रचार सचिव का कर्मजीत कौर ने किया। मनरेगा मजदूरों के मांग मुद्दों का समर्थन जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रधान फूल सिंह, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के प्रधान करनैल सिंह, मजदूर सहयोग केंद्र के खुशी राम ने किया।

प्रदर्शनकारी मनरेगा मजदूरों को संबोधित करते हुए यूनियन के राज्य प्रधान नरेश कुमार ने कहा कि हरियाणा में ग्रामीण मजदूरों को भयंकर बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। खेतीबाड़ी में नाममात्र ही काम मिलता है इसलिए मनरेगा में हरेक ग्रामीण मजदूर द्वारा काम की मांग करने पर उसे साल में कम से कम 200 दिन की रोजगार गारंटी दी जानी चाहिए। लगातार मंहगाई बढ़ने के कारण एक आदमी की कमाई से घर चलाना मुश्किल हो गया है इसलिए परिवार के अन्य सदस्यों को भी काम करना पड़ता है। पुरुष मजदूर दिहाड़ी करने घर से दूर चले जाते हैं मगर महिला मजदूरों के लिए घर से दूर काम पर जाने में मुश्किल होती है।

ऐसी हालत में गाँव में या आसपास मनरेगा में सौ दिन काम मिलने से कुछ राहत जरूर मिल सकती है। दुखद बात है कि मजदूर काम मांगते रहते हैं परंतु उन्हें न तो पूरे सौ दिन काम दिया जाता है और न बेरोजगारी भत्ता। यूनियन के पास इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि जब मजदूर काम की मांग करते हैं तो उनकी मांग को उसी समय नरेगा पोर्टल पर दर्ज नहीं किया जाता है और ना ही पावती दी जाती है। स्थिति यह है कि ब्लॉक करनाल के एबीपीओ गोविन्द के पास जब सोहाना गाँव के मजदूर एक महिला मेट के माध्यम से काम का आवेदन करने गए तो एबीपीओ ने आवेदन पत्र लेने की बजाय लगातार कहते रहा कि जब काम आएगा दे देंगे परंतु मांग के अनुसार काम नहीं दिया गया।

गत दिसम्बर व जनवरी मास में गाँव निगदू के 400 से अधिक मजदूरों, वीर बडालवा के 385 मजदूरों तथा कोयर के करीब 83 मजदूरों ने काम की मांग की थी मगर अधिकांश मजदूरों को काम नहीं दिया गया। जब धान रोपाई व खरपतवार निकालने का काम शुरू हो गया तो मनरेगा काम देना शुरू कर दिया गया। सरकार ने मनरेगा में 260 कामों की सूची बनाई हुई है परन्तु जब मजदूर काम मांगने जाते हैं तो अधिकारी व पंचायती राज संस्थाओं के मुखिया कहते हैं कि हमारे एक्शन प्लान में पर्याप्त काम नहीं है इसलिए सभी मजदूरों को काम नहीं दिया जा सकता है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी कमोबेश यही हालत है।

उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा मजदूरों को मजदूरी देने में भी भेदभाव कर रही है‌। हरियाणा में मनरेगा मजदूरी ₹357 दी जा रही है जबकि प्रदेश सरकार ने अन्य अकुशल मजदूरों के लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी ₹410.05 घोषित की है। जबकि वर्तमान महंगाई के स्तर को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी तय करने के सरकारी मानदंड के अनुसार न्यूनतम मजदूरी ₹26000 मासिक यानि दैनिक मजदूरी ₹800 रुपए से अधिक होनी चाहिए। नरेगा वेबसाईट के आंकड़ों की जांच करने पर पता चलता है कि गत वित्तीय वर्ष 2022-2023 में हरियाणा के कुल 1260989 पंजीकृत मनरेगा मजदूर परिवारों में से मात्र 3455 परिवारों को सौ दिन और शेष 304571 परिवारों को औसतन 30.55 दिन काम दिया गया है। 952963 परिवार ऐसे हैं जिन्हें एक दिन भी काम नहीं दिया गया।

यूनियन स्पष्ट तौर पर कहना चाहती है कि काम के इच्छुक सभी मजदूरों को काम नहीं दिये जाने के लिए पूरी तरह सरकार व मनरेगा अधिकारी जिम्मेदार है। मजदूरों की संख्या बढ़ रही है मगर केंद्र सरकार ने बजट घटा दिया है। सरकार को पंजीकृत मजदूरों की संख्या को सौ दिन का काम देने लायक बजट, ₹800 मनरेगा मजदूरी और मजदूरों को काम देने के लिए अधिकारियों को सख्त हिदायत देनी चाहिए। काम के इच्छुक मजदूरों की डिमांड तुरंत दर्ज करनी चाहिए। हरियाणा की किसी भी पंचायत या वार्ड स्तर पर मनरेगा रोजगार दिवस नहीं मनाया जाता है। यदि सरकार पंचायत या वार्ड स्तर पर हर 15 दिन में एक बार मनरेगा रोजगार दिवस मनाए तो असल स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगी कि ग्रामीण क्षेत्र में कितनी भयंकर बेरोजगारी है।

काम की योजना बनाने व किए गए काम का सोशल आडिट करवाने के लिए ग्राम सभा की बैठकें अधिकांश जगह कागजों में ही होती हैं। उन्होंने बताया कि यूनियन पिछले एक वर्ष से मनरेगा मजदूरों की मांगों के बारे में बीडीपीओ से लेकर महामहिम राष्ट्रपति तक ज्ञापन देकर सरकार को अवगत करवा चुकी है मगर सरकार ने मनरेगा मजदूरों की आवाज नहीं सुना है इसलिए आज मजबूर होकर हमें मुख्यमंत्री आवास तक आना पड़ा है। यदि सरकार ने अब भी हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो हरियाणा के सभी विधायकों व सांसदों के आवास पर धरने दिए जाएंगे और उनसे पांच साल का हिसाब मांगा जाएगा

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