नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की साफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई और उसका संपर्क पृथ्वी से टूट गया। इसके बाद इसरो में सन्नाटा छा गया था। आज शनिवार को इसरो की ओर से पहला बयान जारी किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने पहले बयान में भारत के चंद्रयान-2 को एक कठिन मिशन करार दिया। इसके साथ ही, इसरो ने इसे एक महत्वपूर्ण तकनीकी छलांग बताया। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि उसका मिशन 90 से 95 फीसदी हासिल हुआ है और विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद यह आॅर्बिटर चांद की कक्षा में अपना काम करता रहेगा और तस्वीरे भेजता रहेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक लैंडर ‘विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा था और उसकी सतह को छूने से महज कुछ सेकंड ही दूर था तभी 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने पर उसका जमीन से संपर्क टूट गया। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों में हताशा जरूर नजर आई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश उनके साथ खड़ा दिखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इससे हताश होने की जरूरत नहीं है। वह पत्थर पर लकीर बनाने वाले लोग हैं मक्खन पर नहीं।
करीब एक दशक पहले इस चंद्रयान-2 मिशन की परिकल्पना की गई थी और 978 करोड़ के इस अभियान के तहत चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत पहला देश होता। पीएम मोदी ने इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) परिसर में शनिवार सुबह छह घंटे के अंदर दूसरी बार वैज्ञानिकों को संबोधित किया और वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावटों के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि ”नई सुबह होगी और उज्ज्वल कल होगा। उन्होंने कहा कि देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है।
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