Aaj Samaj (आज समाज), Minister Kamlesh Dhanda, मनोज वर्मा,कैथल: महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि भारतीय शिक्षाविद, चिंतक, राजनेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र एकजुटता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। आज हमें हमारे युवाओं को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि उन्हें पता चले कि एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान के लिए जो बिगुल उन्होंने बजाया था, वो देश के प्रत्येक नागरिक और राष्ट्र को मजबूत करने वाला था।
भारतीय जनसंघ संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर किए पुष्प अर्पित
शुक्रवार को महान राष्ट्रवादी एवं देश की अखंडता के पुरोधा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए। राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन का लक्ष्य राष्ट्र को देश विरोधी ताकतों तथा देश के अंदर उनका सहयोग करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई थी। राष्ट्र अखंडता के लिए उनके प्रयासों का गला घोंटते हुए असामाजिक ताकतों ने डॉ मुखर्जी की जीवनलीला को खत्म कर उनकी मुहिम को खत्म करने की नापाक कोशिश की। लेकिन उनकी विचारधारा पर चलते हुए पहले जनसंघ तथा बाद में भाजपा ने जन-जन की आवाज को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक राष्ट्र में एकरूपता लाने के संकल्प को पूरा किया गया है, जिससे आज हर नागरिक खुश है। उन्होंने कहा कि आज कार्यकर्ताओं को डॉ श्यामा प्रसास मुखर्जी की विचारधारा को अपनाते हुए लोगों को जागरूक करने का समय आ गया है, ताकि इन लोगों विशेषकर युवाओं को अपने देश और संस्कृति से प्रेम हो।
उन्होंनेे अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू की गई अग्निपथ योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, आयुष्मान योजना, गरीब लोगों के लिए जन धन खाता योजना व अन्य जन विकास योजनाओं का कांग्रेस पार्टी ने खुलकर विरोध किया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस देश के अंतिम गरीब व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम किया है। कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीब लोगों के घर राशन पहुंचाया, लेकिन इस बात का भी विपक्ष ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज हमें मिलकर देश के खिलाफ असामाजिक तत्वों व उनकी साजिशों का मुकाबला करने के लिए जागरूक होने की जरूरत है। तभी हम डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन व बलिदान का सम्मान कर पाएंगे।
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