चरखी दादरी। रामालवास में पिछले चार महीनों से खनन कार्य पूरी तरह बंद है, जिससे हजारों मजदूरों, डंपर चालकों और स्थानीय युवाओं के सामने रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है। खनन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि विवाद के चलते मौजूदा कंपनी ने काम बंद कर दिया है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं।

खनन कार्य ठप, मजदूरों पर गहराया संकट

रामालवास में खनन कार्य से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग जुड़े हुए थे। इनमें मजदूर, ट्रक चालक, मशीन ऑपरेटर, पत्थर तोड़ने वाले कारीगर और खनन से जुड़ी अन्य सेवाओं में कार्यरत लोग शामिल हैं। खनन कार्य बंद होने से न केवल इन लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है, बल्कि स्थानीय व्यापारियों और रेहड़ी-पटरी वालों पर भी इसका असर पड़ा है।

कंपनी ने विवाद के चलते काम रोका

सूत्रों के मुताबिक, जिस कंपनी के पास खनन कार्य करने की ज़िम्मेदारी थी, उसने कुछ लोगों के विरोध और विवाद के चलते खुद को इस प्रक्रिया से अलग कर लिया है। जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि कुछ समय में काम दोबारा शुरू हो जाएगा, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है।

एक ग्रामीण ने बताया कि ख़ास बात यह है कि चार महीने से बंद माइनस के सामने भी कुछ लोग धरने पर बैठे है जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है की कही यह धरना प्रायोजित तो नहीं है ।

प्रवासी मजदूरों पर भी असर

खनन कार्य में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर भी कार्यरत थे, जो अब काम न मिलने के कारण अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। इससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। मज़दूर बिहारी लाल, रामलखन , शिवा और रामशुकला का कहना है कि उन्हें काम न मिलने से काफ़ी परेशानी हो रही है अब।

सब कुछ हो रहा था नियमानुसार

क्रेशर मालिकों और खनन कार्य से जुड़े लोगों का कहना है कि
रामालवास में खनन कार्य बंद होने से हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है। प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर समाधान निकालने की ज़रूरत है ताकि मजदूरों और स्थानीय व्यापारियों को राहत मिल सके।
वही इस मामले में खनन कंपनी के निदेशक का कहना है की कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के कारण खनन कार्य में बाधा डाली है जिसके कारण उन्होंने किसी विवाद में पढ़ने की बजाय खनन कार्य बंद करना ही बेहतर समझा है इस बात में कोई शक नहीं है कि कार्य बंद होने से हजारों लोगों की आजीविका पर असर पड़ा है। माइनस कंपनी का लाखों रुपए एडवांस जमा है जो गाँव रामलवास के विकास के लिए है। इसके इलावा पूरी माइनस में नॉर्म्स के हिसाब से काम हो रहा था लेकिन डिस्ट्रबेंस के कारण कंपनी को माइनस बंद करनी पड़ी।