म न: कल तो में भाग मिल्खा भाग फिल्म देखकर आया, उस फिल्म के किरदार ने मेरे अंदर बहुत ही अधिक ऊर्जा भर दी है, और अब मुझमे इतना साहस आ चुका है कि में कुछ भी करके दिखा सकता हूं। मन घर आया और फिल्म की ऊर्जा के विश्वास पर अपने संकल्पो को पूरा करने लग गया, परन्तु दो दिन बाद ही उसकी ऊर्जा ध्वस्त हो गयी। उस समय उसने सोचा की मुझे किसी और का मोटिवेशनल वीडियो देखना चाहिए। उसने यूटयूब पर वीडियो देखे और फिर से उसने स्वयं के समस्त संकल्पो को मजबूत कर लिया और फिर से तैयारी शुरू कर दी। लेकिन वो फिर से हार गया। परन्तु इस बार मन स्वयं की आत्मा से पूछने लगा आखिर में गलती क्या कर रहा हंू।
आत्मा का जवाब
आप भाग मिल्खा भाग फिल्म देखकर आकर्षित तो हुए, किन्तु आपके आकर्षण का कारण उस फिल्म के किरदार का अभिनय था। आपने बहुत ही कम समय में आपने आदर्श को चुन लिया इसलिए वो विचार आपकी ‘जीवात्मा’ तक नही पहुच सके
मन: है महान आत्मा अब मुझे क्या करना चाहिए। जिससे की मेरे विचार ‘आकर्षण के स्थान पर विवेक’ को महत्व दें।
आत्मा: मेरे मित्र हमेशा उन्ही को सुनो उन्ही को अपनी अभिप्रेरणा बनाओ, जिनके पास ‘विचारो की सिद्धि हो’। जो पूजनीय है जिनका व्यक्तित्व अलौकिक है ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम है जैसे कि राम कृष्ण परमहंस, समर्थगुरु रामदास, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द, महर्षि रमण आदि। निसंदेह: दुनिया में बहुत सारे विचारक है, हो सकता है वो श्रेष्ठ वक्ता भी हो, लेकिन वे लोग पूजनीय हो ये जरूरी नहीं।
(अखिल विश्व गायत्री परिवार से साभार)
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