Meteorologists: मौजूदा दक्षिण-पश्चिमी मौसम ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज का परिणाम

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Meteorologists: मौजूदा दक्षिण-पश्चिमी मौसम ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन का परिणाम
Meteorologists: मौजूदा दक्षिण-पश्चिमी मौसम ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन का परिणाम

Warm Weather, (आज समाज), नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि इस बार बारिश में असामान्य स्थितियां क्यों बन रही हैं। शायद सब लोग नहीं जानते होंगे। सितंबर खत्म होने वाला है और बावजूद इसके उत्तर भारत से लेकर महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक इस बार रिकॉर्ड बारिश दर्ज की जा रही है। कुछ जगहों पर अब तक बाढ़ की स्थिति बन रही है।

सितंबर तक 8 दफा बना कम दबाव

Low Pressure Area:

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार दक्षिण-पश्चिमी मौसम इस बात का गवाह है कि ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से महासागर गर्म हो रहे हैं और नतीजतन बारिश में असामान्य हालात बन रहे हैं। हम बीते कुछ वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो इस बार सितंबर तक कम दबाव के क्षेत्र ने आठ दफा पूर्वी तट में भयावह मंजर पैदा किया है। उनमें से 5 एयर कैनन बन गए और उनका तेलुगु राज्यों पर गंभीर असर हुआ। बंगाल की खाड़ी गत 28 जून, 15 व 19 जुलाई को कम दबाव देखने को मिला। इसके बाद तीन और 29 अगस्त और फिर पांच, 13 व 23 सितंबर बे आफ बंगाल में कम दबाव बनता नजर आया।

लगातार बढ़ती जा रही संख्या व तीव्रता

बता दें कि बंगाल की खाड़ी में दबाव की संख्या व इनकी तीव्रता लगातार बढ़ती जा रही है। बार-बार भारी बारिश के कारण न केवल तटीय क्षेत्र, बल्कि उत्तर व मध्य भारत की आबादी का भी एक बड़ा हिस्सा इससे प्रभावित हो रहा है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के खम्मम व विजयवाड़ा जैसे इलाकों में आए फ्लड इसी का कारण हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार कम दबाव के क्षेत्रों पर ला नीनो का प्रभाव है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में बनने वाले चक्रवात कंबोडिया, थाईलैंड व वियतनाम जैसे पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से गुजरते हुए कमजोर पड़ रहे हैं, लेकिन बंगाल की खाड़ी में ये तेज हो रहे हैं।

विश्लेषण में जुटे वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों का कहना है, हालांकि मानसून के बीच बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनना आम बात है, पर इनकी संख्या में इजाफा, इनका तेजी से बनना और तीव्र होना, कम दबाव के चलते बारिश होना व इनका चक्रवातों में बदलना ‘असामान्य’ स्थिति है। विश्लेषक इस पर विश्लेषण कर रहे हैं।

बढ़ रहा समुद्र की सतह का तापमान 

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है और निरंतर कम दबाव बन रहे हैं। तट के समीप पहुंचने पर इनकी तीव्रता तेज हो जाती है। दूसरी तरफ साप्ताहिक कम दबाव के आने से मिट्टी की नमी बढ़ रही है। इस वजह से कम दबाव समुद्र तट को पार कर जमीन पर पहुंचने के बाद भी कमजोर नहीं हुआ। हाल ही में बंगाल की खाड़ी में बना वायु द्रव्यमान आर्द्र मौसम के चलते राजस्थान व गुजरात जैसे देश के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों से गुजरा और इस दौरान मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात व झारखंड, सहित अन्य राज्यों में भारी बारिश हुई।

वैज्ञानिकों ने चेताया

वैज्ञानिकों ने चेताया है कि ग्लोबल वार्मिंग व तटीय कटाव का नतीजा यह हो सकता है कि आने वाले समय में तूफानों की फ्रीक्वेंसी और बढ़ सकती है। विशेषकर अप्रैल-जुलाई व अक्टूबर-नवंबर के बीच ज्यादा चक्रवात आ सकते हैं। जून-जुलाई में बारिश के मौसम की शुरुआत में अधिक तूफान आने की संभावना है।

टफ होता जा रहा तूफानों की दिशा का अनुमान 

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर तल्लाप्रगदा विजय ने कहा, तूफानों की दिशा का अनुमान लगाना टफ होता जा रहा है। हाल ही में दक्षिण चीन सागर में बना चक्रवात यागी म्यांमार के समीप बंगाल की खाड़ी में चक्रवात के रूप में मजबूत हो गया है। नतीजतन उत्तर भारत में भारी बारिश हुई, जो उम्मीद से परे है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के (सेवानिवृत्त) महानिदेशक डॉ केजे रमेश ने कहा है कि प्रशांत महासागर में बनने वाले चक्रवातों के प्रभाव से बंगाल की खाड़ी में तट पार करते ही एक दबाव बनता है।

बदलता रहा है तूफानों का मार्ग

बीते 10 साल में कम दबाव वाले तूफानों की संख्या में घटी है। हालांकि चक्रवात खुद बंद हो गए हैं, पर मौसम के संकेतक स्पष्ट हैं कि उनकी तीव्रता में इजाफा हुआ है। अतीत में, यदि अंडमान द्वीप समूह के समीप चक्रवात बनते थे, तो वे पश्चिम की तरफ नेल्लोर व उत्तर-पश्चिम में कोलकाता की तरफ बढ़ते थे। कुछ सालों में उनका मार्ग बदलता रहा है। जैसे-जैसे तट कट रहे हैं, टाइफून के तट पर आने वाले क्षेत्र बदल रहे हैं। जो तूफान तट की तरफ बढ़ते दिखते हैं, वे समुद्र में दिशा बदल रहे हैं।

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