कैथल।( मनोज वर्मा) निजी अध्यापक संघर्ष समिति हरियाणा के पदाधिकारियों ने कोविड 19 की वजह से सभी प्राईवेट स्कूल जोकि मार्च 2020 से बंद पडे हुए हैं तथा जिनकी वजह से निजी अध्यापकों का जीवन बहुत दयनीय व कष्ट दायक हो गया है। अध्यापक जो अपने छात्रों एवं समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत होता है। आज दरबदर की खाक छान रहा है। समाज में पढे लिखे युवा उपहास व परिहास का केन्द्र बन गए है। जिससे की मानसिक तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में अध्यापकों को परिस्थति वश आत्महत्या के मामले सुर्खियों में है।
इसलिए हमारी सराकर से मांग है कि प्राथमिकता देते हुए स्कूलों को खुलवाया जाए ताकि देश के उज्जवल भविष्य के कर्णधार उमंग भरा जीवन यापन कर सकें। राहत के तौर पर अन्य अकुशल कामगारों की तरह कुशल कामगारों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि यह विनति हम अध्यापक होने के नाते ही नहीं अपितु अभिभावक होने के नाते भी कर रहे हैं। इससे ही सरकार का कुपोषण रहित व शिक्षित देश का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। अन्यथा सूखी रोटी से तो केवल कुछ सांसे ही उधार ली जा सकती है। उन्होंने आगे मांग की कि थाईलैंड जैसे छोटे से देश ने शिक्षा को सुचारू रूप से चालू रखा है ओर हम अब तक सिर्फ इसके लिए शुरू करने के तरीके नहीं ढूंड पाए हैं।