संजीव कौशिक, रोहतक:
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में बुधवार को स्वर्ण जयंति सभागार में कुलपति डॉ. अनीता सक्सेना की अध्यक्षता में मंकीपॉक्स वायरस को लेकर एक मीटिंग का आयोजन किया गया। मीटिंग में डॉ. अनिता सक्सेना ने मंकीपॉक्स से निपटने से संबंधित जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए।
बनाया जाएगा आइसोलेशन वार्ड
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने बताया कि कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना ने मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं चर्म रोग विभागाध्यक्ष को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि माइक्रोबॉयोलोजी विभाग, मेडिसन, शिशु रोग एवं कम्युनिटी मेडिसन विभाग के चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। उन्होंने बताया कि यदि कोई मंकीपॉक्स का मरीज आता है तो उसका सैंपल कैसे लिया जाए, इसके लिए ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी और रिकोर्ड कोविड कंट्रोल रूम में रखा जाएगा।
ये एक डीएनए वायरस: डा. अर्पणा
डॉ. अर्पणा परमार ने बताया कि मंकीपॉक्स एक डीएनए वॉयरस है। यह अलग-अलग स्टेज में फैलता है। उन्होंने बताया कि इसका 5 से 21 दिन का इंक्युबेशन पीरियड होता है। डॉ. अर्पणा ने बताया कि 1 से 5 दिन बुखार आता है, रेसिज चिक्रपॉक्स जैसे निशान (माता आना) होते हैं और गले में गलैंड बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि रेशेज पर पपड़ी करीब 2 से 4 हफ्ते तक रहती है और तबतक मरीज को आइसोलेशन में रखा जाता है। उन्होंने कहा कि यह किसी मरीज के नजदीकी संपर्क में आने से, कपडों व चमड़ी को छूने से फैलता है। उन्होंने बताया कि अभी इसकी जांच पुणे लैब में की जा रही है और अभी इसके तीन मरीज केरल व एक मरीज दिल्ली में मिला है।
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