Meerut shooting range turns out to be Saurabh Chaudhary’s high hopes in Tokyo: मेरठ शूटिंग रेंज सि निकले सौरभ चौधरी से है टोक्यो में बड़ी उम्मीदें

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नई दिल्ली कभी जसपाल राणा सहित तमाम निशानेबाज़ों ने भारतीय निशानेबाज़ी को बुलंदियों पर पहुंचाया और फिर राज्यवर्धन सिंह राठौर ने 2004 के एथेंस ओलिम्पिक में सिल्वर मेडल जीतकर इस खेल को देश में लोकप्रिय करने में अहम योगदान दिया। राज्यवर्धन की इस कामयाबी के समय सौरभ चौधरी की उम्र सिर्फ दो साल की थी। उन दिनों वह खिलौनों से खेलते थे। जब यह 13 साल के हुए तो वह अपने भाई नितिन के साथ मेरठ शूटिंग रेंज पर गए और पहली ही नज़र में उन्हें वह जगह भा गई।

सौरभ के कोच अमित शेरोन ने उनके पिता से उनहें एक बंदूक दिलाने को कहा। परिवार के लिए इसे जुटाना ही बहुत बड़ा काम था। उनके पित जगमोहन सिंह ने लोन पर अपने बेटे को यह उपकरण मुहैया कराया। बेटे सौरभ ने भी अपने पिता को निराश नहीं किया। तीन-चार महीने में ही इसके परिणाम आने लगे। बेटे की शुरुआती कामयाबी को देखते हुए जगमोहन सिंह ने घर पर ही एक कामचलाऊ शूटिंग रेंज बना दी। इसी का नतीजा था कि 2017 में जर्मनी के शहर सुहल में हुई पहली वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप में सौरभ ने चौथा स्थान हासिल किया लेकिन इस प्रदर्शन ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

2018 में उनके गोल्ड मेडल मिलने का सिलसिला भी शुरू हो गया। जकार्ता एशियाई खेलों में उन्होंने जापान के अनुभवी तोमोयुकी मात्सुदा और अपने स्पेयरिंग पार्टनर अभिषेक वर्मा को पीछे छोड़ते हुए सबसे युवा चैम्पियन होने का गौरव हासिल हुआ। उसके बाद से सौरभ निशानेबाज़ी के खेल में जाना पहचाना नाम बन गया। इसी वर्ष मेरठ के इस कालिना गांव के इस खिलाड़ी ने अर्जेंटीना में हुए यूथ ओलिम्पिक गेम्स में भी गोल्ड जीतने का कमाल कर दिखाया। आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियाई जूनियर एयरगन चैम्पियनशिप में उन्होंने कुल पांच गोल्ड और एक ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल किया। 2019 में उन्हें दिल्ली में आयोजित आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड हासिल हुआ। इसी साल मनु भाकर के साथ उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टर में मिक्स टीम का गोल्ड जीता। इन दोनों ने बीजिंग और म्यूनिख में आयोजित वर्ल्ड कप में दो और गोल्ड जीतकर भविष्य की उम्मीदें जगा दीं। रियो में इन्हें सिल्वर मेडल हासिल हुआ। म्यूनिख में सौरभ ने 10 मीटर पिस्टल इवेंट में जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा। विश्व स्तर की प्रतियोगिताएं जीतने का असर था कि उनके लिए 63वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना बाएं हाथ का खेल साबित हुआ। इन सब उपलब्धियों को देखते हुए सौरभ टोक्यो ओलिम्पिक में भारत की बड़ी उम्मीद हैं और सौरभ भी इस चुनौती के लिए तैयार हैं।

विजय आनंद