Medicines Get Costlier : 4 दिन बाद मरीजों को करोड़ों का झटका लगने वाला है। अगर आप नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करते हैं तो 1 1 अप्रैल से राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा दवाईयों की कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है।
अगर आप भी कोई दवाई लेते है तो जान ले कितना होने वाली है उसकी कीमत। दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी से आम आदमी की जेब पर भी असर पड़ने वाला है।
हालांकि सरकार द्वारा कीमतों के मूल्य को नियंत्रण में रखने के लिए मूल्य नियंत्रण सूची में शामिल किया है। तों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है, जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। सरकार ने दवाओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए कई महत्वपूर्ण दवाओं को मूल्य नियंत्रण सूची में शामिल किया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस पहल से मरीजों को हर साल करीब 3,788 करोड़ रुपये की बचत होती है। हालांकि, अब इन नियंत्रित दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
कितनी बढ़ेगी कीमते
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरी दवाओं की कीमतों में 1.7% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा तय की जाती है, जो देश में दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का काम करता है।
इस कदम से दवा कंपनियों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें उत्पादन लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, यह मरीजों के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन सकता है, जिससे दवाओं पर उनका खर्च बढ़ जाएगा। आइए जानते हैं किन दवाओं के दाम बढ़ेंगे।
पिछले साल भी बढ़े थे दाम
यह पहली बार नहीं है कि दवाओं के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। 2023 में भी एनपीपीए ने कीमतों में 12% तक की बढ़ोतरी की थी, जिससे पहले से ही महंगाई से जूझ रहे लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा था।
क्या है कीमते बढ़ने का कारण
एनपीपीए के मुताबिक, दवाओं के दामों में यह बढ़ोतरी **मुद्रास्फीति आधारित मूल्य संशोधन** के कारण की जा रही है। हर साल सरकार जरूरी दवाओं के दामों को नियंत्रित करने के लिए संशोधन करती है। इस बार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में बढ़ोतरी के कारण दवा कंपनियों को अपने दाम बढ़ाने की अनुमति दी गई है।
राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची (एनएलईएम) में शामिल दवाओं के दाम बढ़ेंगे। इसमें एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, हृदय रोग, मधुमेह, रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं।
सरकार के इस फैसले से उन लोगों का मासिक खर्च बढ़ जाएगा, जिन्हें नियमित रूप से दवाइयों की जरूरत होती है। बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। कई वरिष्ठ नागरिकों और पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे। स्वास्थ्य बीमा के दावे बढ़ सकते हैं, जिससे प्रीमियम दरों में बढ़ोतरी की संभावना है।
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