केवल रेफर कॉलेज बनकर रह गया मेडिकल कॉलेज, चिकित्सीय अभाव से रोज बुझ रहे घरों के चिराग

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Medical college has become a referral college only

सुरेन्द्र दुआ,नूंह:

कांग्रेस शासनकाल में करीब 550 करोड़ रूप्ये की लागत से बना शहीद हसन खां मेवाती राजकीय मेडिकल कॉलेज नल्हड़ इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। मेडिकल कॉलेज में एक्स-रे, अल्ट्रसाउंड, हार्ट स्पेशलिस्ट, दिमाग, किडनी, हार्ट, आंत आदि तक के इलाज व अन्य सुविधाएं आदि न होने से विगत दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में डाली गई जनहित याचिका के तहत दो माह में व्यवस्था पटरी पर लाने के निर्देश जारी हुए हैं। इसके बावजूद भी जिलावासियों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में मरीज के लिए प्राथमिक व आपात तिथि के लिए कोई माकूल व्यवस्था न होने से वह इलाज अभाव से दम तोड़ रहे हैं। जिला मुख्यालय नूंह शहर में हार्टअटैक से एक पखवाड़े में लगातार हुई तीन मौतें इस बात की बानगी है।

शुरू से ही सुर्खियों में रहा करीब 550 करोड़ की लागत से बना नल्हड मेडिकल कॉलेज 

उल्लेखनीय है कि, कांग्रेस शासन काल में वर्ष 2012 में करीब 550 करोड़ की लागत से बना नल्हड मेडिकल कॉलेज शुरू से ही सुर्खियों में रहा है। मेडिकल कॉलेज निर्माण काल में घटिया सामग्री, स्टाफ भर्ती व अन्य व्यवस्थाओं को लेकर लोगों ने विरोध भी किया था। इसके अलावा लोगों को डर था कि मेडिकल कॉलेज को सरकार जिला के इंडरी व साथ लगते मिंडकोला(हथीन) में इसकी स्थापना न हो जाए और इसके लिए जिलावासियों ने दूसरी जगह का जमकर विरोध करने के साथ-साथ कांग्रेस के शीर्ष नेता अहमद पटेल तक ने इसके लिए आवाज बुलंद की थी और कॉलेज का कांग्रेस शासन काल में निर्माण कार्य नल्हड क्षेत्र में कार्य पूर्ण होने से इसको जनता के लिए समर्पित कर दिया। जिला की करीब 15 लाख आबादी को अपने इलाज के लिए सोहना, पलवल, अलवर, भिवाडी, गुरूग्राम, दिल्ली,फरीदाबाद आदि जगहों पर इलाज के लिए भागदौड़ से निजात मिलने की उम्मीद जगी थी लेकिन जिलावासियों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा हैं।

पूर्ण उपचार न होने की वजह से रास्ते में ही दम तोड़ रहे मरीज 

जिलावासी सुमित अदलखा, निवर्तमान पार्षद कमल गोयल, राजू कटारिया, सुनील शर्मा, रविन्द्र एलावादी, पंकज कुमार, गोसी, नवीन गोयल, हरीश सिंगला, नीरज सिंगला, सलीम, हारून प्रधान आदि ने बताया कि नल्हड मेडिकल कॉलेज सफेद हाथी साबित हो रहा है यहां नाम बढ़े दर्शन छोटे हैं,  अब यह केवल रेफर कॉलेज बनकर रह गया है जो मरीजों का आपात स्थिति में इलाज करने की बजाए रोहतक पीजीआई या दिल्ली रेफर कर रहे हैं जिससे हार्ट के मरीज पूर्ण उपचार न होने की वजह से रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं नूंह शहर में सप्ताह एक पखवाड़े में साकिर पुत्र अब्दुल गफार, बालू, राजेश अलमादी की हार्ट अटैक के दौरान समय पर उपचार न मिलने पर मौत हो गई जबकि प्रमोद पुत्र घनश्याम को दिल्ली रेफर करने पर फरीदाबाद बीके अस्पताल में समय पर उपचार दिया गया। इसके अलावा ऐसे न जाने कितने मरीज हैंं जो समय पर उपचार ना मिलने के कारण मौत का ग्रास बने हैं। अगर मेडिकल कॉलेज में हार्टकेयर सेंटर की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो मरीजों को दूर-दराज तक जाने की जरूरत नहीं हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में हार्टकेयर सेंटर के अलावा उचित चिकित्सीय स्टाफ, दवा व उपकरणों की मांग की है।

मरीज आने पर रेफर करना मजबूरी : निदेशक

इस बारे में नल्हड मेडिकल कॉलेज के निदेशक डा0 पवन गोयल ने शुक्रवार सांय माना कि मेडिकल कॉलेज में हार्ट, दिमाग, किडनी, आंत आदि के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं हैं और ऐसे मरीज आने पर रेफर करना उनकी मजबूरी हैं। उन्होंने बताया कि दिमाग, किडनी,हार्ट, आंत आदि मरीजों की अब तक हुई मौतों के साथ- साथ शहर में एक पखवाड़ा में “”हार्टअटैक”” से लगातार हुई तीन मौतों का विवरण भी उनके पास नहीं हैं और साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय में मेडिकल कॉलेज के खिलाफ जनहित मेंएक्स-रे, अल्ट्रासाउंड मशीन, चिकित्सक, सर्जन व दवाई आदि के लिए दायर याचिका का मामला उनके संज्ञान में नहीं पहुंचा हैं और आने पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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