महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने मनाया श्री गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व

गुरु तेग बहादुर के जीवन तथा उनकी शिक्षाओं को विद्यार्थियों तक पहुंचाने का कार्य इस संगोष्ठी के जरिए किया जा रहा है। कुलपति ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय में गुरु तेग बहादुर अध्ययन केन्द्र की स्थापना की जाएगी।

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श्री गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व

संजीव कौशिक, रोहतक:
स्वधर्म और राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सिख समुदाय के नौंवे गुरु श्री गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई तथा उनकी शहादत को श्रद्धापूर्वक याद किया गया।

श्री गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व

देश सर्वप्रथम, देश सदैव

एमडीयू के टैगोर सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित सामाजिक चितंक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश जी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर का जीवन हमें प्रेरित करता है कि देश सर्वप्रथम, देश सदैव। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जैसे महान विभूतियों के बलिदान के कारण ये देश गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ।

युवा पीढ़ी की प्रेरणा देने हेतु गुरु तेग बहादुर अध्ययन केन्द्र स्थापित

अपने प्रेरणादायी भाषण में मुख्यातिथि इंद्रेश जी ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अखंड भारत के संकल्प के साथ स्वयं को राष्ट्र सेवा कार्य में समर्पित करें। उन्होंने गुरु तेग बहादुर तथा उनके शिष्यों द्वारा मुगलिया सल्तनत की क्रूर यातनाओं को झेलते हुए सर्वोच्च बलिदान के लोमहर्षक वृतांत का ब्यौरा दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए गुरु तेग बहादुर अध्ययन केन्द्र स्थापित करने की अपील की।

गुरु तेग बहादुर के जीवन तथा उनकी शिक्षाओं को विद्यार्थियों

एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विद्यार्थियों में नैतिक मूल्य, राष्ट्र प्रेम की भावना प्रशस्त करने के लिए महापुरूषों के जीवन तथा योगदान संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन विश्वविद्यालय करता है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर के जीवन तथा उनकी शिक्षाओं को विद्यार्थियों तक पहुंचाने का कार्य इस संगोष्ठी के जरिए किया जा रहा है। कुलपति ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय में गुरु तेग बहादुर अध्ययन केन्द्र की स्थापना की जाएगी।

इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रतिष्ठित सामाजिक इतिहासकार जगमोहन सिंह (कोलकत्ता) ने गुरु तेग बहादुर की पूर्वी भारत की यात्रा तथा उसके निहितार्थ की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने जीवन पर्यंत सिख धर्म का प्रचार-प्रसार किया तथा समावेशी समाज की स्थापना के लिए कार्य किया। जगमोहन सिंह ने गुरु तेग बहादुर के आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गया, सायाराम, पटना, ढाका, कामरूप, पुरी समेत बिहार, बंगाल, ओडिशा के अनेक स्थानों पर उनके प्रवास तथा प्रवचन की चर्चा की।
गुरु तेग बहादुर के वर्तमान हरियाणा से रहे घनिष्ठ संबंध

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि शुगरफेड, हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय सिख संगत के प्रमुख सदस्य सरदार हरपाल सिंह चीका ने गुरु तेग बहादुर के वर्तमान हरियाणा से घनिष्ठ संबंधों समेत हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर उनके प्रवास की विस्तृत जानकारी दी। सरदार हरपाल सिंह ने कहा कि हरियाणवी समाज का सिख धर्म के प्रति विशेष योगदान है। कार्यक्रम के प्रारंभ में हरियाणा अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. जे.एस. धनखड़ ने स्वागत भाषण दिया।

इस संगोष्ठी कार्यक्रम में एमडीयू की प्रथम महिला डा. शरणजीत कौर, सुपवा कुलपति गजेन्द्र चौहान, डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा, कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा, डीन, सीडीसी प्रो. ए.एस मान, सीपीएएस निदेशिका प्रो. संतोष नांदल, एनएससी के वरिष्ठ अधिकारी ब्रिगेडियर रोहित नौटियाल समेत अन्य एनसीसी अधिकारीगण, वरिष्ठ अधिवक्ता तथा जजपा जिलाध्यक्ष बलवान सिंह सुहाग, पूर्व सूचना आयुक्त भूपेन्द्र धमार्णी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। विश्वविद्यालय के शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मी, विद्यार्थीगण, एनसीसी कैडेट्स, वाईआरसी तथा एनएसएस वालंटियर्स कार्यक्रम में शामिल हुए।

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