इशिका ठाकुर,करनाल:
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में 9 दिनों से हड़ताल पर बैठे एम.बी.बी.एस. विद्यार्थियों ने बुधवार को मानव श्रृंखला बनाकर रोष प्रदर्शन किया। साथ ही शाम को भी थाली बजाकर भी रोष प्रकट किया। वहीं वीरवार को विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज परिसर में सरकार को सद्बुद्धि आए इसके लिए हवन करेंगे। बता दें पिछले 9 दिनों से एम.बी.बी.एस विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में धरने पर बैठे हैं। एम.बी.बी.एस. के विद्यार्थियों ने कहा कि बांड व भारी कॉलेज शुल्क का विरोध आगे भी जारी रहेगा। पार्क में इकट्ठा विद्यार्थियों ने कहा कि हरियाणा के सभी सरकारी कॉलेजों में एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रमों के लिए राज्य सरकार ने बांड/भारी कॉलेज शुल्क लागू कर दिया है। नई नीति के अनुसार सरकारी कॉलेजों में एम.बी.बी.एस. में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को एम.बी.बी.एस. के बाद 7 साल की नौकरी करनी होगी। या फिर प्रति वर्ष 10 लाख रुपए का शुल्क देना होगा।
नौकरी की भी कोई गारंटी नहीं
इस हिसाब से कोर्स की कुल फीस 45 लाख होगी। साल 2020 व 2021 में दाखिले में उन्होंने बांड पेपर लिया है, लेकिन कर्ज के तौर पर नहीं। अब 2022 में दाखिले में फीस देने या कर्ज लेने को कह रहे हैं। 2019 तक वार्षिक शुल्क लगभग 50 हजार था। जो 2021 से बढ़कर 80 हजार हो गया। 10 लाख में से बाकी राशि कर्ज के रूप में थी। इसके विरोध में आंदोलन 2020 से चल रहा है। एक जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय चंडीगढ़ में विचाराधीन है। विद्यार्थियों ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सरकार एम.बी.बी.एस. के बाद नौकरी की कोई गारंटी नहीं दे रही है। यह मैडीकल उम्मीद्वारों, विद्यार्थियों व अभिभावकों और डॉक्टरों के लिए मानसिक पीड़ा का कारण बन रहा है। यह अधिसूचना न केवल महत्वाकांक्षी एम.बी.बी.एस. छात्रों के लिए बल्कि पूरे भारत में चिकित्सा समुदाय के लिए एक आघात के रूप में आई है।
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