6 अक्टूबर रविवार को अष्टमी सुबह 10.55 पर समाप्त हो जाएगी और नवमी आरंभ हो जाएगी जो 7 तारीख, सोमवार को दोपहर 12.38 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी शुरू होगी। 8 अक्टूबर मंगलवार को दशमी दोपहर 2.50 बजे समाप्त हो जाएगी। यदि आप व्रत रखना चाहें तो उपरोक्त समय का ध्यान रख कर कर सकते हैं।
ऐसे करें कन्या पूजन
दुर्गाष्टमी को कन्या पूजन करके व्रतादि का उद्यापन करना शुभ रहेगा। अष्टमी पर 9 वर्ष की कन्या 9 कन्याओं तथा एक बालक को अपने निवास पर आमंत्रित करें। उनके चरण धोएं। मस्तक पर लाल टीका लगाएं, कलाई पर मौली बांधें। लाल पुष्पों की माला पहनाएं उनका पूजन करके उन्हें हलुवा, पूरी, काले चने का प्रसाद दें या घर पर ही इसे खिलाएं। चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। उन्हें लाल चुनरी या लाल परिधान तभा उचित दक्षिणा एवं उपयोगी उपहार सहित विदा करें। आज कन्या रक्षा का भी संकल्प लें। देवी का अष्टम स्वरुप महागौरी का है ।इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। भगवती का सुंदर, सौम्य, मोहक स्वरुप महागौरी में विद्यमान है। वे सिंह की पीठ पर सवार हैं। मस्तक पर चंद्र का मुकट सुशोभित है। चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि माता का यह स्वरुप सौन्दर्य से संबंधित है। इनकी आराधना से सौन्दर्य प्रदान होता है। जो युवक युवतियां सौन्दर्य के क्षेत्र में जाने के इच्छुक हैं, वे आज महागौरी की आराधना करें। फिल्म, ग्लैमर व रंगमंच की दुनिया की इच्छा रखने वाले या सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने जा रहे, युवा वर्ग आज व्रत के साथ साथ निम्न मंत्र का जाप भी अवश्य करें। जिनके वैवाहिक संबंध सुंदर न होने के कारण नहीं हो रहे या टूट रहे हों वे आज अवश्य उपासना करें। चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछा कर माता की प्रतिमा या चित्र रखें। घी का दीपक जला कर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें। दूध निर्मित प्रसाद चढ़ाएं।
मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नम:!! की एक या 11 माला करें। अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें। आज अष्टमी पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
नवरात्रि अष्टमी का है खास महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी का खास महत्व होता है। दुर्गा अष्टमी का व्रत करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। दुर्गा अष्टमी इसलिए भी खास है क्योंकि कि इसमें दुर्गा माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। माता महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
माता पार्वती क्यूं कहलाई महागौरी
माता महागौरी ने दो बार कठोर तपस्या की। पहले उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कारण वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गईं थी। शिव जी को पाने के बाद माता ने दोबारा अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य को पाने के लिए फिर से तपस्या की। इस तपस्या के बाद माता पार्वती गौरवर्ण हो गईं, इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां महागौरी का पूजन
माता जब 8 वर्ष की बालिका थीं तब देव मुनि नारद ने इन्हें इनके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराया। फिर माता ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की। इसलिए इन्हें शिवा भी कहा जाता है। सिर्फ 8 साल की आयु में घोर तपस्या करने के लिए इनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है।
माता महागौरी की पूजा विधि
अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन हवन का महत्त्व बताया गया है। पूजा करने के बाद ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन करा कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। महागौरी की पूजा के लिए नारियल, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। हलवा और काले चने का प्रसाद बनाकर माता को विशेष भोग लगाया जाता है। माता महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। क्योंकि माता गौरी ग्रहस्थ आश्रम की देवी हैं और गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है।
माता महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
कंजक पूजन के बिना अधूरी है नवरात्रि पूजा
मान्यता है कि नवरात्रि में रोज कन्या पूजन करना चाहिए लेकिन जो लोग रोज पूजन नहीं करते, वह अष्टमी या नवमी की सुबह कन्या पूजन कर सकते हैं। कन्या को देवी रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है जिससे देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। कन्या पूजन के दिन कन्याओं को घर पर आमंत्रित करें। उनकी उम्र 2 से 9 वर्ष हो क्योंकि इसी उम्र की कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना गया है। कन्याओं के साथ एक लोंगड़ा यानी लड़के को भी साथ बिठाते हैं। कहा जाता है कि लोंगड़े के अभाव में कन्या पूजन पूर्ण नहीं होता। कन्या और लोंगड़े के चरण धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं। कलाई पर मौली बांधें और माथे पर रोली का तिलक लगाएं। मां दुर्गा को सुखे काले चने, हलवा पूरी, खीर व फल आदि का भोग लगाकर कन्याओं और लोंगड़े को प्रसाद दें, साथ ही कुछ ना कुछ दक्षिणा अवश्य दें। घर से विदा करते समय उनसे आशीर्वाद के रूप में थपकी अवश्य लें।
उपहार में दें ये चीजें
वैसे समय अब काफी मॉडर्न हो गया हैं इसलिए आप प्रसाद के साथ उन्हें मनपसंद चीजें उपहार में भी दे सकते हैं क्योंकि गिफ्ट पाकर हर बच्चा खुश होता है। बाजार में आपको ऐसी बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी जिन्हें आप कंजक पूजन में बच्चों को दे सकते हैं। ध्यान रहें ऐसी कोई भी गिफ्ट उन्हें ना दें जो उनके काम ना आए। ये उपहार उनकी उम्र के हिसाब से हो तो अच्छा है। कंजक पूजन में दिए जाने वाले गिफ्ट को लेकर बाजारों में खूब धूम मची हुई हैं। बस अपनी पसंद की चीजें लाएं और बच्चों को खुश करें।
एक्सेसरीज- लड़कियों को एक्सेसरीज बहुत पसंद आती है। आप उनके लिए नेकलेस, कलरफुल बैंग्ल्स, ब्रैस्लेट, हेयरबैंड, क्लिप्स, हेयरपिन छोटे इयररिंग आदि दे सकते हैं। लेकिन ये चीजें 6 से 9 साल की लड़कियों को दें तो अच्छा हैं क्योंकि वह इन चीजों का इस्तेमाल करना बखूबी जानती हैं।
स्टेशनरी- छोटे बच्चों को स्टेशनरी का सामान गिफ्ट में दिया जाए तो सबसे बढ़िया हैं ये चीजें उनके बहुत काम आती हैं। आप उन्हें पैंसिल बॉक्स शॉर्पनर पेंन रबड़ और ड्राइंग कलर दे सकते हैं। अगर बच्चे 4 से 5 साल के हैं तो उन्हें आप कविता-कहानी से जुड़ी किताबें भी दे सकते हैं।
खिलौने- 2 से 3 साल के बच्चे खिलौने से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप इन्हें बैलून, टैंडी, कलरफुल ब्लॉक गेम्स, एल्फाबेट्स गेमस आदि दे सकते हैं।
स्कूल आइटम- बच्चे स्कूल में टिफ्फन वॉटर बोतल सिप्पर आदि की जरूरत तो पड़ती ही हैं आप उन्हें उनके मनपसंद कार्टून करैक्टर वाली ये चीजें भी दे सकते हैं।
पिग्गी बैंक- अगर आप बच्चों को देने के लिए कोई चीज सिलैक्ट नहीं कर पा रहे तो उन्हें पिग्गी बैंक दीजिए। इससे उन्हें अपनी पॉकेट मनी सेव करने की अच्छी आदत भी पड़ेगी। इसे आप हर उम्र के बच्चे को दे सकते हैं।