Martyr Subedar Ramesh Chand बेटियों ने दी देशभक्त पिता सूबेदार रमेश चंद्र को मुखाग्रि

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Martyr Subedar Ramesh Chand

Martyr Subedar Ramesh Chand बेटियों ने दी देशभक्त पिता सूबेदार रमेश चंद्र को मुखाग्रि

मां बोली- हर जन्म में उसे रमेश जैसा ही बेटा नसीब हो

प्रवीण वालिया,जुंडला/करनाल :

Martyr Subedar Ramesh Chand  : राष्ट्रीय रायफल थल सेना में तैनात जाणी गांव के किसान मानसिंह के 46 वर्षीय सुपुत्र सूबेदार रमेश चंद्र की जम्मू के बनिहाल में डयूटी के दौरान भारी बर्फबारी के कारण अचानक हुई मौत की खबर से पूरे क्षेत्र के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों को रमेश चंद्र की मृत्यु से गहरा आघात पहुंचा है। उनके पैतृक गांव जाणी में राजकीय सम्मान के साथ रमेश चंद्र को अंतिम विदाई दी। ग्रामीणों के साथ ही पूरे क्षेत्र से काफी संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए और धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

सूबेदार रमेश चंद्र की तीनों बेटियों ने जब अपने देशभक्त पिता को मुखग्रि दी तो शमशान घाट में अंतिम दर्शनों को आए लोगों की आंखें भर आई। उनकी अंतिम यात्रा में घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण, असंध के पूर्व विधायक जिले राम शर्मा, समाजसेवी नरसिंह बबलू, थल सेना से नायब सूबेदार सकल देव सिंह, नायब सूबेदार जसबीर सिंह, नायब सूबेदार नदीम अली के अलावा पूर्व सरपंच सतपाल सिंह, सत्ता पहलवान, सुखबीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, सतीश कुमार शामिल हुए।

हरविन्द्र कल्याण ने दी श्रंद्धाजलि  Martyr Subedar Ramesh Chand

इस मौके पर घरौंडा के विधायक हरविन्द्र कल्याण ने सैनिक के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित करके उन्हें श्रंद्धाजलि दी तथा परिवार को सांत्वना दी। उन्होंने कहा की दुख की इस घड़ी में सरकार परिवार के साथ है और वे स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी देंगे और हर संभव मदद के लिए प्रयास करेंगे। इस दौरान उन्होंने सेना से आए अधिकारियों से भी चर्चा की।

Martyr Subedar Ramesh Chand : विधायक ने कहा कि सूबेदार रमेश चंद्र के आकस्मिक निधन से परिवार के साथ-साथ समाज व देश को भी बड़ी क्षति हुई है। असंध के पूर्व विधायक जिले राम शर्मा ने कहा कि सैनिक देश की सीमा की रक्षा करते है तो देश के नागरिक सकून महसूस करते हैं। ऐसे शूरवीरों पर प्रत्येक नागरिक को गर्व होना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान का कहना है कि किसान परिवार में जन्मा रमेश चंद्र भारत की सरहदों की रक्षा के लिए कुर्बान हुआ है। किसान परिवार को परमात्मा यह दुख सहने की ताकत दे।

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इस अवसर पर सूबेदार रमेश चंद्र के साथी अधिकारी नायब सूबेदार नदीम अली ने बताया कि वे उनके साथ 12 राष्ट्रीय रायफल में जम्मू के बनिहाल में पोस्ट तैनात थे। विषम परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह किए बगैर वे लगातार डयूटी पर तैनात रहे। कुछ दिन पहले उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो उन्हें मिल्ट्री अस्पताल उद्यमपुर में ईलाज के लिए ले जाया गया। लेकिन हालत में सुधार नहीं हो पाया और ईलाज के दौरान ही 15 जनवरी सुबह 3 बजे सूबेदार रमेश चंद्र की अचानक मृत्यु हो गई।

बेटियों ने अपने पिता को मुखग्रि दी तो उपस्थित लोगों की भर आई आंखें-

राजकीय सम्मान के साथ सूबेदार रमेश चंद्र को उनके सहयोगी राष्ट्रीय रायफल के सैनिकों द्वारा सलामी दी गई तथा उनकी तीन बेटियों काजल, निकिता व पायल ने अपने बहादुर पिता के अंतिम संस्कार की रस्म को निभाते हुए मुखाग्रि दी। बेटियों द्वारा पिता को अंतिम विदाई देते देखकर वहां पर आए लोगों की आंखें नम हो गई और लोगों ने परमात्मा से उन्हें यह असहनीय दुख सहने की शक्ति देने के लिए प्रार्थना की। सूबेदार रमेश चंद्र के भतीजे समाजसेवी नरसिंह बबलू ने बताया कि रमेश चंद्र की तीन बेटियां है। (Martyr Subedar Ramesh Chand) वह अपनी बेटियों को सेना के उच्च पदों पर तैनात करवाने की बात कहा करते थे। इसके लिए उन्होंने अपनी बेटियों को उच्च शिक्ष दिलाई और हमेशा ही देशभक्ति की भावना को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि हर दिल अजीज रमेश चंद्र रिश्ते में उनके चाचा थे लेकिन वे दोनों गहरे दोस्त थे और 10 वीं कक्षा दोनों ने एक साथ पास की थी। इसके बाद वे सेना में भर्ती हुए और जब भी गांव में आते थे तो हंसी-ठहाके के साथ अपने दोस्तों से मिला करते थे। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में वे दोनों एक साथ सेवा करते थे। लेकिन आज उनकी शहादत से पूरा गांव वीरान सा हो गया है।

तिरंगा सीने से लगाकर पिता ने सैनिक रमेश चंद्र को दी अंतिम विदाई-

सैनिक सम्मान के दौरान तिरंगा में लिपटे सूबेदार रमेश चंद्र के पार्थिव शरीर को गांव में लेकर पहुंचे अधिकारियों ने तिरंगा को उनके पिता मानसिंह को सौंपा दिया। तिरंगा को सीने से लगाकर पिता का कलेजा भर आया और अपने बहादुर बेटे की शहादत को सलाम करते हुए पिता की आंखे नम हो गई। मां ने रोते हुए कहा कि हर जन्म में उसे रमेश जैसा ही बेटा नसीब हो, जो देश के काम आए। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही गांव में छुट्टियां बिताकर गए बेटे का पार्थिव शरीर मां भुगड़ी देवी के पास लाया गया तो मां का सीना फट आया। फूट-फूट कर रोती मां कह रही थी कि रमेश जैसा लाल हर मां को मिले। हर जन्म में उसे रमेश ही बेटा नसीब हो, जो देश के काम आए। ये कहते हुए उनकी मां बेहोश हो गई। वहीं सूबेदार रमेश चंद्र की पत्नी व भाईयों का भी रो-रोकर बुरा हाल था। (Martyr Subedar Ramesh Chand)

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