Martyr Chandrashekhar Azad: भारतीय स्वतंत्रता के सबसे महान शहीदों में से एक थे चंद्रशेखर आजाद : बंतो कटारिया  

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Martyr Chandrashekhar Azad
प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर :
Martyr Chandrashekhar Azad: भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चे द्वारा भाजपा जिला कार्यालय जगाधरी में शहीद-ए-आजम चंद्रशेखर आजाद का शहीदी दिवास  मनाया गया व सभी ने चंद्रशेखर आजाद को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

1925 में प्रसिद्ध काकोरी षडयंत्र की योजना बनाई Martyr Chandrashekhar Azad

भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य व् गेल की पूर्व डायरेक्टर बंन्तो कटारिया ने कहा कि वे एक महान स्वतंत्र सेनानी व भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदर गांव में हुआ था। उनके पिता पंडित सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी थी।
वे बचपन में ही क्रांतिकारियों के दल हिंदुस्तान, प्रजातंत्र संघ के सदस्य बन गये थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की संरचना की। बंतो कटारिया ने बताया कि उन्होंने 1925 में प्रसिद्ध काकोरी षडयंत्र की योजना बनाई। उन्होंने योजना बनाई कि कैसे एक सरकारी ट्रेन को लूटा जाए और आगे की स्वतंत्रता गतिविधियों के लिए हथियार इकट्ठा किया जाए।

चंद्रशेखर आजाद का नारा था “मैं आजाद हूं आजाद रहूंगा और आजादी मरूंगा” Martyr Chandrashekhar Azad

उन्होंने सुरक्षा खामियों की पहचान की और काकोरी में एक ट्रेन को रोका और हथियार लूट लिए,भारतीय इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्हें आज भी देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है।
चंद्रशेखर आजाद का नारा था “मैं आजाद हूं आजाद रहूंगा और आजादी मरूंगा”आखिर 27 फरवरी 1931 का वह दिन भी आया जब  इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में  देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी ने अपने आप को गोली मारकर शहीद कर लिया। बंन्तो कटारिया ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के सलाहकार थे। देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए वे नित नई योजनाएं बनाया करते थे।

चंद्रा भील आदिवासी बच्चों के साथ बड़े हुए चंद्रशेखर आजाद Martyr Chandrashekhar Azad

भाजपा नेत्री बंन्तो कटारिया ने बताया कि मुझे कई बार अल्फ्रेड पार्क में  जाने का मौका मिला है और जिस वृक्ष के समीप उन्होंने अपने आप को गोली मारी थी। वहां भी मुझे शीश नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सपरा ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह चंद्रा भील आदिवासी बच्चों के साथ बड़े हुए।
वह बचपन से ही काफी फुर्तीले थे, उनकी मां उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थी, जिसके लिए आजाद को बनारस के काशी विद्यापीठ भेजा। वहां वह राष्ट्रवाद से परिचित हुए और वह एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए,सन 1919 में जलियांवाला बाग की घटना से वह बेहद परेशान थे। वह सिर्फ 13 साल के थे। जब वह 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने इस तरह के आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और 16 साल की उम्र में उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

आजाद को अंग्रेजों व अन्य किसी से कोई भय नहीं था Martyr Chandrashekhar Azad

जब पुलिस ने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने खुद को ‘आजाद’ और अपने पिता को ‘स्वतंत्र’ बताया। आजाद के साहस को देखकर मजिस्ट्रेट आगबबूला हो गया और उसे कोड़े मारने का आदेश दिया। वह इतने निडर थे कि उस समय भी आजाद ने मुस्कुराते हुए सजा को कबूल किया,विधायक घनश्यामदास अरोडा़ ने बताया कि शहीद चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों व अन्य किसी से कोई भय नहीं था।
उनकी बहादुरी को हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में याद रखा जाएगा। शहीद चंद्रशेखर आजाद वीर सावरकर जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण ही भारत माता को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवाया जा सका है।

हमारे शहीद हम सब के लिए प्रेरणा स्रोत Martyr Chandrashekhar Azad

हमारे शहीद हम सब के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो हमें बीज के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने की प्रेरणा देते हैं हम उनके बताए गए मार्ग पर चलकर देश हित में कार्य करना चाहिए तभी हम उनके सपनों का भारत बना सकते हैं। भाजपा सरकार ने शहीदों को मान सम्मान देने के लिए शहरों और गांवों के लोगों के नाम शहीदों के नाम पर रखे हैं जिससे युवा पीढ़ी शहीदों के जीवन से प्रेरणा ले सकें।
साथ में किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष विक्रम हड़तान,भाजपा जिला महामंत्री कृष्ण सिंगला, किसान मोर्चा जिला मीडिया प्रभारी संदीप धीमान,जिला उपाध्यक्ष नितीन कपूर,अमित चौहान, विभोर पहुजा,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुशील कुमार,विभा गुप्ता,भाजपा जिला मीडिया प्रभारी कपिल मनीष गर्ग सहित भाजपा के सैंकड़ों कार्यकर्ता साथ रहे।