पर्यूषण पर्व के सातवें दिन ध्यान दिवस पर तेरापंथ भवन में हुए अनेक आयोजन

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Many events were held in Terapanth Bhavan on the seventh day of Paryushan festival on the day of meditation

संजीव कौशिक, रोहतक :

  • जीवन में महानतम उपलब्धि आत्म साक्षात्कार है और वह ध्यान से होती है

ध्यान एक प्रकार का हार है जो अंतर को पुष्ट करता है इस आहार के प्राथमिक दृश्य होते हैं। जैसे दबे रोगों का भीतर ही भीतर समाप्त हो जाना और साधारण बीमारियों का स्वत शमन हो जाना यह बात ध्यान दिवस पर उपासिका मधुबाला जैन‌ व गुलाब देवी ने तेरापंथ भवन में अपने वक्तव्य में कहीं उन्होंने कहा कि ध्यान से शरीर के अवयवों, स्नायुओं और रक्ताणुओ में भारी परिवर्तन आता है।

ध्यान शरीर के लिए बेहद जरुरी

धीरे-धीरे ध्यान से रोगी की शरीर रचना, शरीर की प्रकृति और शरीर के सामर्थ्य में सवर्था अंतर आ जाता है यही कारण है कि ध्यानी जहां गरिष्ठ भोजन को पचाने की क्षमता रखता है। वहां लंबे समय तक बुभुक्षाजनित कष्ट भी सह लेता है इस मौके पर जैन तेरापंथ सभा द्वारा ध्यान विधि भी सिखाई गई सभा अध्यक्ष ने बताया कि 31 अगस्त को अंतिम दिन संवत्सरी पर्व रहेगा जिसमें सुबह 9 बजे से कार्यक्रम शुरू होंगे।

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