Manmohan Singh: मनमोहन के प्रोत्साहन के बिना मुश्किल थी आर्थिक रफ्तार को धार

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डॉक्टर मनमोहन के प्रोत्साहन के बिना मुश्किल थी आर्थिक रफ्तार को धार
डॉक्टर मनमोहन के प्रोत्साहन के बिना मुश्किल थी आर्थिक रफ्तार को धार
  •  शनिवार को होगा अंतिम संस्कार 

Former PM Manmohan Passes Away, (आज समाज), नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन देश के विकास के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन ही देश में उदारीकरण (liberalisation) लाए। उदारीकरण के बाद भारत की आर्थिक वृद्धि की प्रशंसा मनमोहन की अहम भूमिका को स्वीकार किए बिना नहीं की जा सकती। मनमोहन का अंतिम संस्कार शनिवार को होगा। उनके  परिवार में तीन बेटियां हैं। एक बेटी आज देर रात अमेरिका से लौटेगी।

उदारीकरण के जरिये अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया

डॉक्टर मनमोहन की यात्रा देश के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने से बहुत पहले तभी शुरू हो गई थी, जब भारत भुगतान संतुलन के संकट का सामना कर रहा था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव थे और मनमोहन वित्त मंत्री थे। उन्होंने पीवी नरसिंह राव के साथ मिलकर उदारीकरण (liberalisation) के जरिये अर्थव्यवस्था को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया।

लाइसेंस राज कम किया, विनियमनों को सुव्यवस्थित किया

1991 से 1996 तक प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने लाइसेंस राज को कम किया और विनियमनों को सुव्यवस्थित किया, जिससे उद्योगों में सरकारी हस्तक्षेप में उल्लेखनीय कमी आई। डॉक्टर मनमोहन ने व्यापार सुधार भी पेश किए, आयात शुल्क में कटौती की और खुले बाजार की अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाया।

एफडीआई में प्रमुख सुधार शुरू किए गए

डॉक्टर मनमोहन के नेतृत्व में ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में प्रमुख सुधार शुरू किए गए थे जिसका भारत को आज तक लाभ मिल रहा है। इन सुधारों से प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति मिली। डॉक्टर मनमोहन ने ही रुपए के अवमूल्यन की देखरेख की। इसके बाद भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिली। इससे निर्यात क्षमता में भी वृद्धि हुई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने कर सुधार भी पेश किए, जिससे कर ढांचे को सरल बनाया गया और कर आधार को बढ़ाया गया। इन प्रयासों ने उनके कार्यकाल के दौरान भारत को आर्थिक विकास और नीति परिवर्तन के दौर से गुजारा।

24 जुलाई, 1991 को पेश किया पहला बजट

24 जुलाई, 1991 को वित्त मंत्री के रूप में पहला बजट पेश करते हुए, मनमहोन ने संसद में कहा, मुझे विश्वास है कि स्थिरीकरण उपायों और आवश्यक संरचनात्मक व नीति सुधारों के सफल कार्यान्वयन के बाद, हमारी अर्थव्यवस्था उचित मूल्य स्थिरता और अधिक सामाजिक समानता के साथ उच्च सतत विकास के पथ पर वापस आ जाएगी।

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