अंबाला। पांच वर्ष तक केंद्र में सफलतापूर्वक साझा सरकार चलाने वाली कांग्रेस ने 2009 के आम चुनाव में पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया और सहयोगी दलों के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाई जबकि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर सकी।
कांग्रेस ने इस चुनाव में मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था और वह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस चुनाव में भी यद्यपि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला लेकिन कांग्रेस की सीटें बढ़कर 206 हो गईं और उसके नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की फिर से सरकार बनी।
कांग्रेस ने इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति थोड़ी मजबूत कर ली, लेकिन बिहार में वह केवल दो सीटों पर सिमटने को मजबूर हुई थी। भाजपा बिहार में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही लेकिन राजस्थान में वह पिछले प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही थी।
इस चुनाव की एक और खास बात यह रही कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक वर्चस्व वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को तगड़ा झटका लगा और वहां तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में तथा जनता दल (यू) को बिहार में एवं बीजू जनता दल को ओडिशा में अच्छी सफलता मिली थी।
राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने दो क्षेत्रों सारण और पाटलीपुत्र से चुनाव लड़ा लेकिन पाटलीपुत्र सीट पर वे हार गए थे। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान हाजीपुर सीट पर हार गए थे।
सात राष्टÑीय पार्टियों ने लड़ा था चुनाव
लोकसभा की 543 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में सात राष्ट्रीय, 34 राज्य स्तरीय, 322 निबंधित पार्टियों ने चुनाव लड़ा। राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस, भाजपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल शामिल थे। कुल 8070 उम्मीदवारों ने अपनी राजनीतिक किस्मत को आजमाया था। राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1623 स्थानों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिनमें से 376 सीटों पर उन्हें सफलता मिली। इन पार्टियों को 63.58 प्रतिशत वोट मिले थे। राज्य स्तरीय पार्टियों ने 394 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे जिनमें से 146 निर्वाचित हुए थे। निबंधित पार्टियों ने 6053 उम्मीदवार लड़ाए थे जिनमें से 21 जीत गए थे।
किसी दल को नहीं मिला स्पष्ट बहुमत
15वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस के 440 उम्मीदवारों में से 206, भाजपा के 433 में से 116 और बसपा के 500 उम्मीदवारों में से 21 ही जीत सके थे। भाकपा और माकपा को बड़ा झटका लगा था। भाकपा के 56 में से चार तथा माकपा के 82 में से 16 उम्मीदवार ही निर्वाचित हो पाए थे। राकपा के 68 में नौ और राजद के 44 में से चार प्रत्याशी विजयी हो पाए थे।