- आज देर रात अमेरिका से लौटेगी बेटी
- 2004 में बने पीएम, 2014 तक रहे
- 3 जनवरी 2014, आखिरी प्रेस कांफ्रेंस
- अंत्येष्टि की जगह अभी फाइनल नहीं
Manmohan Singh Death News, (आज समाज), नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार कल यानि शनिवार को किया जाएगा। गुरुवार रात को दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। डॉक्टर मनमोहन 2004 में देश के प्रधानमंत्री बने थे। मई 2014 तक वह पीएम रहे। तीन जनवरी 2014 को उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर आखिरी प्रेस कांफ्रेंस की थी। सूत्रों के मुताबिक मनमोहन का अंतिम संस्कार भी अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह राजघाट के पास किया जा सकता है। फिलहाल जगह फाइनल नहीं की गई है।
आज की जा सकती है अंत्येष्टि की आधिकारिक घोषणा
अटल बिहारी वाजपेई की तरह मनमोहन के अंतिम संस्कार के लिए भी कांग्रेस जगह की मांग करेगी। डॉक्टर मनमोहन ने गुरुवार रात लगभग 10 बजे अंतिम सांस ली। उसके बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि उनकी अंत्येष्टि 28 दिसंबर को की जाएगी। सूत्रों के अनुसार आज अंतिम संस्कार की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। बता दें कि पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अंत्येष्टि भी राजघाट परिसर में ही की गई थी।
जगह का निर्णय मनमोहन के परिवार की सहमति पर निर्भर
कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए अलग से समाधि स्थल भी बनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी इसी तरह अलग समाधि स्थल बनाया गया है। कई बार प्रधानमंत्री के गृह राज्य में भी अंतिम संस्कार होता है। डॉक्टर मनमोहन के परिवार की सहमति पर ही यह निर्णय लिया जाएगा कि अंत्येष्टि कहां की जाएगी। कल रात करीब 8 बजे मनमोहन की तबीयत बिगड़ी और उसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया। इसके बाद करीब 9.50 पर वह दुनिया को अलविदा कह गए। मनमोहन के परिवार में तीन बेटियां हैं। एक बेटी आज देर रात अमेरिका से लौटेगी।
जानिए क्या है अंत्येष्टि का प्रोटोकॉल
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है। आखिरी विदाई भी प्रोटोकॉल के तहत दी जाती है। अंत्येष्टि के समय उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। निधन पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है। डॉक्टर मनमोहन की निधन पर भी सात दिन के राष्टÑीय शोक की घोषणा की गई है। प्रोटोकॉल के मुताबिक इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है। साथ ही सात दिन तक कोई समारोह या सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होते हैं। आखिरी विदाई भी प्रोटोकॉल के तहत दी जाती है।
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