Manipur Violent Attack: इंफाल में हिंसक भीड़ ने मां-बेटे सहित 3 लोगों को जिंदा जलाया

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Manipur Violent Attack
सात वर्षीय बेटा और उसकी मां, एंम्बूलेंस में आग लगने से जिनकी मौत हो गई।

Aaj Samaj (आज समाज), Manipur Violent Attack, इंफाल: मणिपुर में पिछले सप्ताहांत मां-बेटे सहित तीन लोगों को भीड़ ने जिंदा जला दिया। वारदात राजधानी इंफाल के एक इलाके में रविवार रात की है। तीनों लोग इलाज कराने के लिए एंबुलेंस से जा रहे थे। रास्ते में लगभग 2000 लोगों की भीड़ ने उनकी गाड़ी में ग लगा दी। पुलिस के अनुसार, आग लगने के बाद राख से केवल हड्डियां मिलीं।

असम राइफल्स के कैंप में तीनों ने ली थी शरण

मृतकों की पहचान 7 वर्षीय टॉन्सिंग हैंगिंग, उसकी मां मीना हैंगिंग और रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम के रूप में की गई है। वारदात रविवार की है, लेकिन इसका पूरा विवरण अब सामने आया है। दरअसल तीनों पीड़ितों ने 3 मई से इंफाल से लगभग 15 किमी पश्चिम में कांगचुप में असम राइफल्स के कैंप में शरण ले रखी थी। अधिकारी के मुताबिक, कई कुकी परिवार असम राइफल्स के शिविर में रह रहे हैं।

हमले में तीनों लोग हुए थे घायल

बता दें कि जहां कुकी समुदाय के लोग रहते हैं, मैतेई समुदाय के लोग उन इलाकों को निशाना बनाते हैं। रविवार रात को ऐसे ही एक हमले में बच्चे समेत तीन लोग घायल हो गए थे। इसके बाद कैंप के अधिकारियों ने इंफाल पश्चिम के पुलिस अधीक्षक इबोम्चा सिंह से कंटेक्ट किया और उनसे पीड़ितों को इंफाल अस्पताल ले जाने की व्यवस्था कराने की बात कही।

पुलिस अधीक्षक की निगरानी में निकली थी एम्बूलेंस

पुलिस अधीक्षक की निगरानी में मरीजों और एक नर्स को लेकर शाम करीब सवा पांच बजे एंबुलेंस कैंप से निकली। असम राइफल्स से कोई भी उनके साथ नहीं गया था। अभी एंबुलेंस आधे रास्ते ही पहुंची थी, कि हिंसक भीड़ ने गाड़ी को आगे के हवाले कर दिया। असम राइफल्स के सूत्रों ने बताया उन्हें रविवार शाम बाद में पता चला कि एसपी के सामने एंबुलेंस में आग लगा दी गई थी और तीन लोगों की मौत हो गई थी। चालक व नर्स मौके से फरार हो गए।

मैतई समुदाय की थी वारदात का शिकार हुई महिला

अग्निकांड में जिस महिला की मौत हुई है, वह मैतई समुदाय की थी और उसकी शादी एक कुकी से हुई थी। मृतकों के एक रिश्तेदार पाओलेनलाल हैंगिंग ने कहा, हम 3 मई से मैतई समुदाय के अत्याचारों का सामना कर रहे हैं। लेकिन रविवार की घटना सबसे बुरी थी। शव जले हुए थे। राख में केवल कुछ हड्डियां ही मिली थीं। पाओलेनलाल ने कहा कि वह एंबुलेंस में तीनों के साथ नहीं गया था क्योंकि वह एक कूकी था और वाहन को मैतेई बहुल इलाकों से गुजरना था। मीना और लीडिया ईसाई थीं लेकिन वे मैतेई समुदाय से जुड़ी थीं, हमने सोचा कि उन पर हमला नहीं किया जाएगा। लेकिन उन्हें भी नहीं बख्शा गया।

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