Aaj Samaj (आज समाज), Manipur Violence, इंफाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले सप्ताह हुई हिंसा में उग्रवादियों के भी संलिप्त रहने की बात सामने आई है। मैतेई आरक्षण विवाद पर तीन मई को हिंसा भड़की थी और अब तक इसमें 60 लोग मारे जा चुके हैं। अब हिंसा थम गई है। सोमवार को दूसरे दिन भी कर्फ्यू में ढील दी गई। इसी के साथ जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है।
अलग-अलग समूहों के 50 हजार से ज्यादा लोग राज्य में घुसे
खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि हिंसा की साजिश की बड़ी वजह म्यांमार के उग्रवादी हैं। दरअसल, म्यांमार से 50 हजार से ज्यादा कुकी-मिजो-चिन समूह के लोग और रोहिंग्या मिजोरम में घुस चुके हैं। इनमें उग्रवादी समूहों के कैडर भी शामिल हैं और ये स्थानीय लोगों के साथ घुल-मिलकर सुरक्षाबलों से अपना बचाव कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी घुसपैठियों की समस्या की भनक है।
कुकी-मिजो-चिन समूह व रोहिंग्या की बोली-भाषा लोकल लोगों जैसी
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार इन लोगों की शारीरिक बनावट और भाषा-बोली स्थानीय लोगों जैसी ही है। इस कारण इनकी अलग से पहचान नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार शरण देने के साथ पहचान पत्र के जरिए सभी सरकारी सुविधाएं दे रही है। हालांकि, केंद्र लगातार इन्हें शरणार्थी का दर्जा देने से मना कर रहा है। ये कथित शरणार्थी अघोषित तौर पर मिजोरम के नागरिक बन चुके हैं।
करीब 398 किमी की सीमा साझा करते हैं म्यांमार के सगियांग और चिन प्रांत
बता दें कि म्यांमार के सगियांग और चिन प्रांत मणिपुर के साथ करीब 398 किमी की सीमा साझा करते हैं। इस सीमा क्षेत्र से मणिपुर के टेंग्नोउपाल, चंदेल, उखरुल, काम्जोंग और चूराचांदपुर जिले जुड़े हुए हैं। हाल ही में चूराचांदपुर सहित सबसे ज्यादा हिंसा इन्हीं जिलों में हुई है। जिस दिन हिंसा हुई, उस दिन सफेद बोलेरो में लोगों ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की, उनके तार उग्रवादी समूह से जुड़े हैं।
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