Anti-Drone Machine Guns, (आज समाज), नई दिल्ली/इंफाल: मणिपुर में हाल ही में हुए ड्रोन हमलों के बाद केंद्र सरकार ने पहली बार राज्य में एंटी ड्रोन मीडियम मशीन गन के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। मणिपुर में इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने 3 सितंबर की शाम को ड्रोन से हमला किया था, जिसमें में एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए थे। वहीं एक सितंबर को कोत्रुक गांव में भी ड्रोन से हमला किया गया था, जिसमें दो लोगों की मौत और 9 घायल हुए थे। गौरतलब है कि मणिपुर में मार्च 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा चल रही है।
उग्रवादियों को म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट की आशंका
आशंका जताई जा रही है कि कुकी उग्रवादियों को ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट और ट्रेनिंग मिल रही है, या वे सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। राज्य के डीजीपी राजीव सिंह ने कहा था कि यह ड्रोन हमला एक नई घटना है। उन्होंने कहा, हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। हमने दिल्ली में एनएसजी के डायरेक्टर जनरल और उनकी टीम से बात की है। कई अन्य विशेषज्ञ भी आ रहे हैं।
जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन
डीजीपी ने बताया कि हमने इन ड्रोन अटैक की जांच करने के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। उन्होंने कहा, हमारे पास इन्हें रोकने के कुछ उपाय हैं, जिन्हें हम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा जिन पहाड़ी इलाकों में हमले हुए हैं, वहां हमारे अभियान जारी हैं। मामले में हमें केंद्र भी पूरा समर्थन मिल रहा है। केंद्रीय बलों की लगभग 198 कंपनियां यहां मौजूद हैं।
हमले के बाद लोगों ने छोड़ा गांव
इंफाल वेस्ट जिले के कौत्रुक गांव में हुए ड्रोन हमले के बाद इलाके के लोगों में दहशत है। यहां के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं। सभी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों जैसे इंफाल, खुरखुल और सेक्माई चले गए हैं। उन्हें डर है कि एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क सकती है। कौत्रुक निवासी प्रियोकुमार ने बताया कि गांव में अब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे सभी ने डर कर गांव छोड़ दिया है।
31 अगस्त को निकाली थी रैलियां
कुकी-जो समुदाय के लोगों ने 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में रैलियां निकालीं थी। इन संगठनों की मांग है कि मणिपुर में अलग कुकीलैंड बनाया जाए, जो केंद्र शासित प्रदेश हो। इन संगठनों का कहना है कि पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाना ही राज्य को जातीय संघर्ष से बाहर निकालने का इकलौता रास्ता है।