वाशिंगटन। ममता बनर्जी के एक बयान में कहा था कि सरकार को अगर सीएए और एनआरसी पर इतना विश्वास है तो यूएन की निगरानी में इस पर जनमत संग्रह करा लें। जबकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर द्वारा भारत में नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह की मांग को ठुकरा दिया गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक रैली में सरकार को चुनौती दी थी। बाद में ममता बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कानून पर जनमत संग्रह की नहीं, बल्कि ओपनियन पोल कराने की बात कही थी। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजैरिक ने शुक्रवार को कहा कि यूएन जनमत संग्रह से जुड़े किसी भी मामले में सिर्फ राष्ट्रीय सरकार के अनुरोध पर ही जुड़ता है। डुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नियम कहते हैं कि वह केवल सरकार की मांग पर ही किसी देश के चुनाव या जनमत संग्रह से जुड़ते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह बयान सिर्फ ममता बनर्जी की मांग पर ही नहीं, बल्कि यूएन जिस तरह काम करता है यह उस पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिज्जानी मोहम्मद बंदे की प्रवक्ता रीम अबाजा ने भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन का अधिकार जरूरी है, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन का। विरोध को हमेशा शांति से जताया जाए ताकि उसका सम्मान हो।